भारत के प्रथम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के व्यक्तित्व पर आधारित पुस्तक ‘महायोद्धा की महागाथा’ का विश्व पुस्तक मेले में लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर ‘महायोद्धा की महागाथा’ पुस्तक पर चर्चा की गई। जिसमें लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला, सदस्य, पूपीएससी, पूर्व जीओसी आरट्रैक कमान, श्वेता सिंह, प्रख्यात न्यूज एंकर व आजतक की मैनेजिंग एडिटर, युवराज मलिक, निदेशक, नेशनल बुक ट्रस्ट, एयर मार्शल वीपीएस राणा, पूर्व एओए, पुस्तक के लेखक मनजीत नेगी और पुस्तक के प्रकाशक प्रभात कुमार मौजूद थे।
इस अवसर पर एयर मार्शल वीपीएस राणा ने कहा कि सीडीएस जनरल बिपिन रावत के हेलीकॉप्टर हादसे की खबर उन्हें मिली तो वह इस खबर को सुनकर बहुत दुःखी हुए। उन्होंने कहा कि हम उन लोगों में थे जिन्हें सबसे पहले यह सदमा बर्दास्त करना था। हमें यह खबर मिली जो बहुत दुखद थी। जैसा कि मनजीत ने बताया कि उनके पास कामों की अभी बहुत बड़ी लिस्ट थी और वह बहुत तेजी से उस पर आगे बढ़ रहे थे। यह एक बहुत बड़ा झटका था सेना के लिए राष्ट्र के लिए और मेरा अपना व्यक्तिगत मानना है कि यह सरकार के लिए भी। मेरा यह मानना है कि जिस प्रकार से उनकी कई मुद्दों को लेकर पकड़ थी उसी पकड़ को ले आना थोड़ा मुश्किल लगता है।लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला ने कहा कि जनरल बिपिन रावत बड़े ही परिश्रमी सैन्य अधिकारी थे वह देश के लिए हर समय काम करने के तैयार रहते थे। उन्होंने कहा कि अपनी सरल जिंदगी, निस्स्वार्थ सेवा और निर्णायक नेतृत्व के कारण वे न सिर्फ जवानों में बल्कि आम नागरिकों में भी बहुत लोकप्रिय थे। उनकी सोच बहुत सकारात्मक और दूरदर्शी थी। वे समग्रता से सोचते थे और संपूर्णता में एक्शन लेते थे। उन्होंने भविष्य की लड़ाइयों को स्वदेशी हथियारों के द्वारा लड़ने की दिशा में बहुत सकारात्मक और ठोस कदम उठा रहे थे। उन्होंने राष्ट्रीय आंतरिक सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक संबंधों में भारत के पक्ष को मजबूत किया है।
इस अवसर पर पुस्तक के लेखक मनजीत नेगी ने कहा कि देश के प्रथम चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल बिपिन रावत के विराट व्यक्तित्व को अगर मैं किसी ऐतिहासिक या पौराणिक पात्र से तुलना करूं तो मुझे लगता है रामायण में जो बात हनुमान जी के बारे में कही गई वह बात उन पर सटीक बैठती है। हनुमान जी कहते है कि जब तक वह सीता माता का पता नहीं कर लेते वह विश्राम नहीं कर सकते। ऐसे ही सेना प्रमुख बनने से लेकर चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ रहते हुए जनरल बिपिन रावत ने भी ठान रखी थी कि जब तक सेनाओं के आधुनिकीकरण, उनके पुर्नगठन के मिशन पूरा नहीं कर देते तब तक वह विश्राम नहीं कर सकते। मैंने उनके कार्यकाल को कुछ इसी रूप में देखा है।रक्षा विषयों पर अनेक महत्वपूर्ण पुस्तकें प्रकाशित करने के लिए विख्यात प्रभात प्रकाशन के प्रभात कुमार ने यहां पहुंचे सभी लोगों का धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में ‘महायोद्धा की महागाथा’ की अंग्रेजी पुस्तक भी आप लोगों को जल्द ही पढ़ने को उपलब्ध होगी।

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