हिमालय क्षेत्र में बसा जोशीमठ क्या इतिहास बन कर रह जायेगा ।

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हिमालय क्षेत्र में बसा जोशीमठ क्या इतिहास बन कर रह जायेगा ।

चमोली /जोशीमठ – उच्च हिमालय क्षेत्रो में लगातार हो रहे भूधसाव से कई बसावटों के ऊपर संकट खड़ा हो रहा है ।
क्या ऐसी स्थिति में उत्तराखंड का खूबसूरत शहर जोशीमठ इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाएगा, क्या बद्रीनाथ का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव जोशीमठ खत्म हो जाएगा? यह बात हम इसलिए कह रहे हैं। क्योंकि, बीते दिनों से इस शहर से आ रही खबरें इस बात की तरफ इशारा कर रही हैं और उसके बाद जिला प्रशासन ने शासन को जो पत्र भेजा है उसके बाद इन बातों को और बल मिलने लगा है दरअसल उत्तराखंड के चमोली जिले के खूबसूरत शहर जोशीमठ में लगातार मकान दरक रहे हैं आलम यह है कि ऐसा एक दो मकानों में नहीं बल्कि पूरे शहर में देखने के लिए मिल रहा है शासन ने एक टीम शहर का सर्वेक्षण करने के लिए भी भेजी है जिसके बाद यह साफ हो पाएगा कि आखिरकार यह क्यों हो रहा है लेकिन पहाड़ों का इतिहास देखकर यही अंदाजा लगाया जा रहा है कि आने वाला समय जोशीमठ के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है।

जिला प्रशासन ने लगातार जोशीमठ शहर में हो रहे भू-धंसाव को लेकर उत्तराखंड शासन को पत्र लिखा है। प्रशासन के इस पत्र पर उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग ने तत्काल प्रभाव से संज्ञान लेते हुए अपर सचिव आपदा प्रबंधन जितेंद्र कुमार सोनकर की अध्यक्षता में एक टेक्निकल टीम गठित की थी।

इस टेक्निकल टीम में आईआईटी रुड़की, इसरो, जीएसआई, सर्वे ऑफ इंडिया और आपदा प्रबंधन के अधिकारी टीम में शामिल हैं। उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति जोशीमठ में भू-धंसाव क्षेत्र का भू-वैज्ञानिक और भू-तकनीकी सर्वेक्षण अगले तीन दिन तक करेगी। यह टीम 20 अगस्त को जोशीमठ में स्थलीय निरीक्षण करके वापस लौटेगी। जिस पर रिपोर्ट तैयार करके शासन को दी जाएगी।
-ये टीम अब जोशीमठ पहुंच चुकी है। जिलाधिकारी चमोली की रिपोर्ट के आधार पर जोशीमठ नगर क्षेत्र में हो रहे भू-धंसाव के बाद शासन ने एक उच्चस्तरीय टीम से वैज्ञानिक अध्ययन के लिए लिए गठित की थी। आज विभिन्न क्षेत्रों से आये सर्वेक्षण के लिए वैज्ञानिकों की टीम जोशीमठ पहुंची और सर्वेक्षण कार्य शुरू कर दिया है। टीम ने आज मारवाड़ी, विष्णुप्रयाग जाकर अलकनंदा नदी के कटाव वाले क्षेत्र को देखा, इसके बाद गांधीनगर, एटी नाला सहित आसपास के क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया।

जोशीमठ में लगातार हो रहे भू-धंसाव को लेकर शासन द्वारा गठित की गई जांच के अध्यक्ष आपदा अपर सचिव जितेंद्र कुमार सोनकर को बनाया गया है जितेंद्र कुमार सोनकर ने बताया कि जोशीमठ में स्थलीय निरीक्षण और सर्वे का काम शुरू हो चुका है और जल्दी वह खुद भी इसलिए निरीक्षण के लिए जोशीमठ जाएंगे जिसके बाद एक विस्तृत रिपोर्ट शासन को पेश की जाएगी।
आपदा प्रबंधन के अपर मुख्य कार्य अधिकारी पीयूष रौतेला ने कहा हमारी टीम ने आज मारवाड़ी विष्णुप्रयाग से अलकनंदा नदी के कटाव और भू-धंसाव वाला क्षेत्र देखा है। उन्होंने कहा अलकनंदा नदी से काफी कटाव हो रहा है। नदी का जलस्तर भी काफी बढ़ा हुआ है। उन्होंने कहा यहां भी काफी भू-धंसाव हो रहा है। जोशीमठ शहर में निर्माण अधिक हो रहा है। पानी की निकासी भी सही तरीके से नहीं रही है। जोशीमठ शहर के आसपास काफी दरारे भी आई है। इसके अलावा टीम के सदस्य एटी नाला सहित आसपास के क्षेत्रों में गए। अब टीम औली और सुनील गांव जाकर वहां की स्थिति का भी स्थलीय निरीक्षण करेंगे। अगले तीन दिन तक टीम रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजेगी।
-दरअसल, केवल पर्यटन के दृष्टिकोण से ही नहीं बल्कि सामरिक दृष्टिकोण से भी जोशीमठ में हो रहा भू-धसाव बेहद खतरनाक है क्योंकि जोशीमठ में भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस आइटीबीपी का एक बड़ा बेस कैंप है। तो वहीं, इसके अलावा जोशीमठ शहर बदरीनाथ धाम और हेमकुंड साहिब की यात्रा का भी मुख्य पड़ाव भी है।

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