पहाड़ी जिलों से शिक्षकों का हो रहा है पलायन ।

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मैदानी क्षेत्रों के लिये भर रहे हैं विकल्प ।पहाड़ में न आने के लिये छोड़ रहे हैं अपनी पदोन्नति ।।

पौड़ी – उत्तराखण्ड के पहाडी क्षेत्रों में सेवा देने से कतरा रहे सरकारी शिक्षको से देहरादून व अन्य सुगम क्षेत्रों का मोह नही छूट पा रहा है हालात ये हैं कि अब पहाड़ो में टिकने के बजाय देहरादून का मोह बांधे शिक्षक अपनी पदोन्नी तक ठुकरा रहे हैं ।शिक्षा विभाग द्वारा कुछ दिनों पूर्व पौड़ी में गढवाल मण्डल के अपर निदेशक महावीर सिंह बिष्ठ की अध्यक्षता में गढवाल मण्डल के शिक्षको की कांउसलिंग पूरी हुई है इसमें प्राइमेरी हेडमास्टर और जूनियर के शिक्षको को एलटी सवंर्ग में पदोन्न करने के लिये कांउसलिंग तो रखी गई लेकिन 30 फीसदी कोटे के तहत निर्धारित सभी पदों को लेकर शिक्षको के विकल्प यहां महकमे को मिल ही नही पाये। एलटी के 295 पदों को जहां गढवाल मण्डल में 30 फीसदी कोटे से भरा जाना था तो वहीं इसके सापेक्ष 163 पदों पर विभाग को विकल्प मिल सके। इससे शेष पदों पर कांउसंलिंग हो नहीं हो पाई जिसकी मुख्य वजह शिक्षको को पहाडी जिले में नही बल्कि सुगम जिले देहरादून में दिलचस्पी थी । काउसलिंग में अधिकतर शिक्षको ने देहरादून का विकल्प मांगा लेकिन इन विकल्पों में खाली सीट न होने के कारण शिक्षको ने अपनी पदोन्नी ही की ठुकरा डाली । गढवाल मण्डल के अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा महावीर बिष्ट ने इसे बहुत बडी विडम्बना माना है उन्होने बताया कि देहरादून का मोह लगाये शिक्षक पहाड पर रहकर शिक्षा व्यवस्था को सुधारने में अब बिलकुल भी दिलचस्पी नही रख पा रहे हैं ।जो कि शिक्षा विभाग के लिये भी चिंता का विषय है।

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