मातृभूमि के लिए शहीद हुए कुलदीप भंडारी को नम आंखों से डीई गयी अंतिम विदाई ।
80 वर्षीय बूढ़ी मां ने बेटे के शव को तिरंगे में लिपटा देखकर फफक फफक कर रो पड़ी।

15 वर्षीय बेटे ने दी शहीद पिता की चिता को मुखाग्नि

रुद्रप्रयाग। मातृभूमि के लिए शहीद हुए कुलदीप सिंह भण्डारी को रविवार सुबह अगस्त्यमुनि में सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में सैन्य सम्मान के साथ नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई।
रविवार सुबह करीब 6 बजे सेना की टुकड़ी शहीद के शव को लेकर उनके पैतृक गांव फलई पहुंची। अपने बेटे के शव को तिरंगे में लिपटा देखकर 80 वर्षीय मां शिवदेई देवी फफक-फफक कर रो पड़ी। शहीद की 37 वर्षीय पत्नी रजनी बेसुध हो गई। पिता के शरीर पर बिलखते अबोध बच्चों को इस घटना ने झकझोर कर रख दिया। एक माह पूर्व शहीद कुलदीप गांव आया था। मिलनसार प्रवृति के कुलदीप पूरे गांव के अजीज थे। फौजी का घर आना पहाड़ के गांवों में अक्सर खुशियां लेकर आता है। विजयनगर स्थित मंदाकिनी नदी के घाट पर सैकड़ों लोग उनकी अंतिम विदाई में शामिल हुए। वंदे मातरम, भारत माता की जय और शहीद कुलदीप अमर रहे के नारों के बीच उनके तिरंगे से लिपटे पार्थिव शरीर को विजयनगर स्थित शमशान घाट ले जाया गया। फलई गांव स्थित उनके घर से उनकी पार्थिव देह को सेना की गाड़ी में यहां लाया गया था। अंतिम संस्कार से पहले, शहीद के पार्थिव शरीर को भारतीय सेना, ग्रेनिडियर और असम राइफल की ओर से पुष्पांजलि अर्पित की गई। जवानों ने तीन राउंड फायरिंग कर शहीद को अंतिम श्रद्धाजंली दी गई।

प्रशासन की ओर से तहसील बसुकेदार के प्रतिनिधि राजस्व उपनिरीक्षक भरत सिंह बर्त्वाल ने श्रद्धाजंली अर्पित की गई। शहीद के 15 वर्षीय पुत्र आयुष ने पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी। रुद्रप्रयाग जिले के अगस्त्यमुनि ब्लॉक के फलई गांव निवासी कुलदीप सिंह भंडारी शुक्रवार सुबह ऑपरेशन ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए। शनिवार को उनका पार्थिव शरीर शिलांग असाम से शाम को जोलीग्रांट एयरपोर्ट पर पहुंचा। जहां से उनके पार्थिव शरीर को सड़क मार्ग से उनके घर लाया गया। 42 वर्षीय शहीद कुलदीप सिंह भण्डारी अपने पीछे बूढ़ी मां, पत्नी व ईशा व आयुष दो बच्चो को छोड गए हैं। शहीद अपने परिवार में पांच भाई-बहिनों में इकलौता भाई था। जबकि शहीद के पिता हुकुम सिंह भण्डारी का पिछले साल देहावसान हो गया था। कुलदीप के निधन के बाद फलई गांव में मातम पसरा हुआ है।असम राइफल से आए जवान दिनेश सिंह, मनोज सिंह और महावीर सिंह द्वारा शहीद के पुत्र आयुष को तिरंगा सौंपा। दो मिनट का मौन धारण कर शहीद को श्रद्धांजलि देने के बाद अंतिम विदाई देते हुए नम हुई हजारों आंखें लोगों ने भारत माता के जयकारे लगाकर शहीद को नमन किया और अंतिम दर्शन किए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here