उत्तराखण्ड सरकार के गड्डा मुक्त सड़क के दावे खोखले ,सड़को को गड्डा मुक्त नही बल्कि गड्डा युक्त बंनाने पर तुली है सरकार ।।
, ग्रामीण सड़को के गड्ढे भरने के लिये कर रहे हैं चंदा इक्कठा ।
रुद्रप्रयाग ।उत्तराखण्ड सरकार भलेही हर गांव हर कस्बा को सड़क से जोड़ने के दावे कर रही हो लेकिन धरातल पर सड़को की हालात दहनीय बनी हुई है ।सड़को की स्थिति ऐसी है कि सड़क गड्डो में तब्दील हो रखी है चुने हुए जनप्रतिनिधियो को अपने अपने क्षेत्रों की सड़क की खराब स्थिति नही दिखती है क्यो ये जनप्रतिनिधि स्वयं सम्बंधित विभागों में ठेकेदारी करते नजर आते हैं ।तिलवाडा सौराखाल मोटर मार्ग की स्थिति बहुत ही खराब हो रखी है और कभी भी इस मोटर मार्ग पर कोई बड़ी दुर्घटना घटित हो सकती है लेकिन लोकनिर्माण विभाग व यंहा के चुने हुए जन प्रतिनिधि कुम्भकर्णीय नींद में सोये हुए। एक सड़क होता तो उसका नाम बताया जाय जनपद की जितनी भी लोकनिर्माण व प्रधानमंत्री ग्राम सड़के है उनकी स्थिति देख कर साफ जाहिर हो जाता है कि ये सभी सड़के विभागों के कमीशन की भेंट चढ़ी हुई है ।यदि कुछ जागरूक ग्रामीण सड़को स्थिति के लिये आवाज उठाते हैं तो विभाग कुछ दिनों के लिए सड़क के गड्डो को मिट्टी से भर देते हैं और अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री कर देते है ।सड़को के गड्ढे देख कर साफ देखा जा सकता है उत्तराखण्ड सड़कर का विकास का पहिया कितनी तेजी से चल रहा हैं ।
उत्तराखण्ड सरकार के लोकनिर्माण विभाग के वरिष्ठ मंत्री जनपद दौरे पर आते हुए जिले के मुख्या को जनपद की सभी सड़को को गड्डा मुक्त करने के निदेश दिए थे लेकिन उनके निर्देशो की लोक निर्माण विभाग ने हवा निकाल कर रख दी है।सड़के केवल लोकनिर्माण विभाग ही नही इससे अछूता राष्ट्रीय राजमार्ग भी नही है सड़को की खराब स्थिति को देखते हुए स्थानीय जनता चंदा इक्कठा करके सम्बंधित विभाग को दे कर सड़को को गड्डा मुक्त करने की पहल करने जा रहे है इसकी शुरुवात राष्ट्रीय राजमार्ग 58 खांकरा क्षेत्र से शुरू की जा रही है ।
रूद्रप्रयाग जनपद में जिस प्रकार से सड़कों की हालत है उससे यही अनुमान लगाया जा सकता है कि गढढा मुक्त नही गढढ़ा युक्त रहेगी सड़के, इसका जीता जागता उदाहरण हम आपको ऋृषिकेश बद्रीनाथ राज मार्ग के पौड़ी और रूद्रप्रयाग के बीच बन रहा वाईपास की बात करते है। जो 2007 में बीआरओं द्धारा इस नैशनल हाईवे 58 का डामरीकरण किया गया था तब से इस मार्ग को एैसा ही छोड़ दिया गया है। 2017 में सिरोहबगड़ से नौगॉव तक नया हाईवे का निर्माण कार्य किया जा रहा है। लेकिन सिरोहबगड़ से नौगॉव तक दो-दो तीन तीन फीट के लम्बे चौडे गढढे बने हुए इन गढढों से कई हादसे हो गये हैं। हजारो लाखों वाहन इसी मार्ग से दिन रात गुजरते है। यहां तक की हजारों बीआईपी भी रात दिन इस मार्ग से गुजर रहे हैं। स्थानीय जनता द्धारा कई बार जिला प्रशासन से लेकर केन्द्रीय मंत्री राज्य के मत्रीयों को इस बारे में बताया गया है। लेकिन मार्ग के सुधारीकरण के लिए कोई आगे आने को तैयार नही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जबतक वाईपास नहीं बनता तब तक इस मार्ग का सुधारीकरण तो किया जाय लेकिन प्रशासन की आखें खुलने का नाम नहीं ले रही है। लगातार बड़ी कठिनाईयों के साथ लोग इन गडडओ से आवत जावत कर रहे हैं खांकरा के स्थानीय जनता ने सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार की लापवाही के कारण आज खांकरा के लोग भी लोग इन गड्डओ के कारण परेशान है गढढों में पानी भरने से पैदल चलने वाले लोग भी गाड़ी के चलने के कारण छीटे उनके उपर पड़ रहे है। धूल से लोगों को बीमारी बढ रही है लेकिन इसका सुधारीकरण नहीं किया जा रहा है।
स्थानीय निवासी हरीश डोभाल का कहना है कि हम लोगों द्धारा कई बार आन्दोलन किया लेकिन सरकार के कानों में जूॅ तक नहीं रेगं पा रही है। अब एक ही रास्ता है कि सड़क पर चलने वाले लोगों से चन्दा इक्कठा कर विभाग को भेजा जायेगा या स्वंम उस चंदे से सड़क का डामरीकरण किया जायेगा क्येंकि लगता है कि सरकार के पास डामरीकरण के लिए पैसा नहीं है इसी चंदे के पैसे से डामरीकरण किया जायेगा।