रुद्रप्रयाग नपा के छह नाराज सभासदों ने सौंपा डीएम को इस्तीफा
में विरोध लेकिन इस्तीफा कार्यकाल समाप्ति की और के समनपाय ही क्यों,आखिर क्यों?

रुद्रप्रयाग। नगर पालिका रुद्रप्रयाग में बीते छह महीने से बोर्ड बैठक न कराने सहित अन्य कई मांगों से नाराज छह सभासदों ने देर सांय अपना इस्तीफा जिलाधिकारी को सौंप दिया। हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है कि इस्तीफा स्वीकार किया गया या नहीं। इधर, नगर पालिका अध्यक्ष का कहना है कि बोर्ड बैठक बुलाई गई थी किंतु सभासदों ने चर्चा के बजाय विरोध किया।

शासन-प्रशासन के साथ ही नपा अध्यक्ष पर लगाया बोर्ड बैठक न कराने का आरोप

रुद्रप्रयाग नगर पालिका में 7 निर्वाचित सभासद है। छह सभासद बीते कई समय से नगर पालिका अध्यक्ष से बोर्ड बैठक न बुलाने और उनके क्षेत्र में विकास कार्य न कराने, बजट को निर्माण कार्यो पर खर्च न करने सहित अन्य मांगों को लेकर विरोध कर रहे हैं। इसके लिए कई बार सभासद नगर पालिका में भी विरोध दर्ज कर चुके हैं। शुक्रवार को दोपहर में नगर पालिका की बोर्ड बैठक बुलाई गई किंतु इसमें भी गरमा गरम बहस हुई। सभासदों ने बताया कि नपा अध्यक्ष बोर्ड बैठक के बीच में ही चली गई जिससे छह सभासद जिलाधिकारी को अपना इस्तीफा सौंपने कलक्ट्रेट पहुंचे। जिलाधिकारी को दिए इस्तीफे में सभासदों ने कहा कि छह महीने से बोर्ड बैठक होने और अध्यक्ष के बोर्ड बैठक में छोड़कर चले जाने के कारण इस्तीफा दिया गया है। कहा कि पूर्व में कई बार पत्र के माध्यम से अधिशासी अधिकारी व अध्यक्ष नपा को बोर्ड बैठक कराने के लिए लिखित रूप में अवगत किया गया, किंतु फिर भी बोर्ड बैठक न होने पर सभासदों ने नगर पालिका कार्यलय पर धरना दिया गया जिसके बाद 20 अक्तूबर आज बोर्ड बैठक कराए जाने का निर्णय लिया गया किंतु अध्यक्ष द्वारा बोर्ड बैठक में बिना चर्चा छोड़कर चले जाने से साफ प्रतीत हो रहा है कि उनका जन समस्या व जनता के हितों से कोई वास्ता नहीं है।

अध्यक्ष पर लगाया बोर्ड बैठक में बीच में छोड़कर चले जाने का आरोप

कहा कि वे नगर पालिका अधिनियम का उल्लखन कर रहे है। नगर पालिका अधिनियम में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि प्रत्येक माह में बोर्ड बैठक की जानी अनिवार्य है। बोर्ड बैठक न होने से समस्त सभासद जनता से जुड़े मुददों का समाधान नहीं कर पा रहे हैं। इधर, नगर पालिका अध्यक्ष गीता झिंक्वाण ने बताया कि सभासदों को शुक्रवार आज बोर्ड बैठक में बुलाया गया था किंतु उन्होंने विरोध के बजाय कोई सकारात्मक चर्चा नहीं की जिससे इसका कोई लाभ नही हुआ। इस्तीफा देने वाले सभासदों में लक्ष्मण कप्रवान, संतोष रावत, सुरेंद्र रावत, अमरा देवी, रुकमणि भंडारी, उमा देवी शामिल हैं। वहीं दूसरी ओर नगर पालिका के कार्यकाल को अब महज डेढ़ महीना करीब रह गया है। ऐसे में सभासदों के इस्तीफे से नपा के क्रियाकलापों पर ज्यादा असर पड़ने वाला नहीं है। सरकार द्वारा यदि नपा चुनाव लोकसभा चुनाव के बाद कराया गया तो यह भी निश्चित है कि नपा के कार्यकाल समाप्त होते ही प्रशासक अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठ सकते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here