रुद्रप्रयाग : विश्व जूनोसिस दिवस के मौके पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तत्वावधान में आयोजित गोष्ठियों में पशुजन्य बीमारियों के प्रति जनमानसन में जागरूकता पर जोर दिया गया। वहीं, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा अपने हेल्थ एंड वेलनेस क्षेत्रांतर्गत समुदाय स्तर पर पशुजन्य रोगों से बचाव के बारे में जरूरी जानकारी दी।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय सभागार में आयोजित संगोष्ठी में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. एचसीएस मर्तोलिया ने कहा कि जूनोसिस एक संक्रामक रोग है जो जानवर से मनुष्य व मनुष्य से जानवर में फैलता है। उन्होंने कहा कि पशुजन्य रोगों के जोखिम व उनसे बचाव के प्रति जनमानस में जागरूकता के मकसद के साथ हर वर्ष 6 जुलाई को विश्व जूनोसिस दिवस मनाया जाता है।अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. विमल सिंह गुसाईं ने कहा कि इबोला, स्वाइन फ्लू, रैबीज, स्क्रब टाइफस, एन्सेफलाईटिस आदि जूनोटिक रोग है। बताया कि जानवरों व मनुष्य का सीधा संपर्क जैसे पशुओं के लार, रक्त, मल-मूत्र आदि के संपर्क में आना, जानवरों का काटना या उनसे खरांच लगने से जूनोटिक रोग फैल सकते हैं। कहा कि पशुजन्य रोगों से बचाव के लिए मानव स्वास्थ्य पशु एवं पर्यावरण पर एक साथ ध्यान देना जरूरी है। इसके अंतर्गत स्वच्छ पेयजल व्यवस्था, उचित अपशिष्ट प्रबंधन, घरेलू पालतू जानवरों का टीकाकरण, जानवरों के संपर्क में आने के बाद हाथ धोने, जानवरों के काटने व खरोंच से बचने, यदि घर में जानवर है तो उसकी साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखने व समय-समय पर जरूरी वैक्सीन लगाने, जानवर को छूने या उसके साथ खेलने के बाद अपने हाथों को साबुन से अच्छी तररह धोने जैसी आदतों को अपने व्यवहार में अनिवार्य रूप से शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुत्ते, बिल्ली, नेवला या अन्य जानवर के काटने से रैबीज हो सकता है, यदि ऐसी घटना हो जाए तो घाव को साबुन व पानी से 10 मिनट तक धोएं, घाव पर पट्टी न बांधे अथवा टांके न लगाएं व तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं। बताया कि सरकारी चिकित्सालय में एंटी रेबीज टीका (एआरवी) निःशुल्क उपलब्ध है। बताया कि पशुजन्य रोग के स्वास्थ्य विषयक किसी भी जानकारी हेतु 104 टोल फ्री नंबर पर संपर्क किया जा सकता है। वहीं, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर व स्वास्थ्य केंद्रों में सीएचओ द्वारा जूनोटिक रोगों से बचाव के बारे में ग्रामीणों को जागरूक किया।