चमोली से विनय की रिपोर्ट: पुरातन काल से ही बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने से पहले पड़ने वाले अंतिम शनिवार को क्षेत्र की खुशहाली सुख समृद्धि तथा बद्रीनाथ धाम की यात्रा सुखद रूप से चलने की कामना के साथ नरसिंह मंदिर में तिमुंडिया मेले का आयोजन होता है।
इस दौरान एक व्यक्ति पर तिमुंडिया वीर अवतरित होता है। व सैकड़ों लोगों के सामने गांव के लोगों द्वारा चढ़ाए गए कई किलो कच्चे चावल गुड़ और एक पूरे कच्चे बकरे का भक्षण कर लगभग 6 घड़े पानी पी लेता है। शनिवार को हुए इस मेले के दौरान वीर देवता के भव्य रूप को देखकर लोग नतमस्तक हो गए मेला देखने पहुंचे सैकड़ों की तादाद में लोगों ने वीर देवता का आशीर्वाद लिया।
बद्रीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने बताया कि सदियों से ही बद्रीनाथ धाम की यात्रा के सुखद संचालन की कामना के साथ इस मेले का आयोजन कर वीर देवता को यह बलि दी जाती है। ऐसा करने से बद्रीनाथ धाम धाम की यात्रा सुखद रूप से पूर्ण होती है वह यात्रा के दौरान किसी प्रकार की अनहोनी नहीं होती।
पौराणिक दंत कथाओं के अनुसार यह वीर देवता पहले एक राक्षस हुआ करता था। और दूर किसी जंगल में आदमियों का भक्षण करके भय फैलाया करता था। दंत कथाएं है, कि एक बार दुर्गा जी किसी जंगल में भ्रमण कर रही थी तब उनकी मुलाकात इस राक्षस से हुई। दुर्गा जी ने इसे लोगों की बलि लेने और उन्हें परेशान करने से मना किया। और इस आश्वासन के साथ जोशीमठ स्थित नरसिंह मंदिर ले आई कि वहां क्षेत्र की रक्षा करने पर बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने से पहले वर्ष में एक बार इसे बकरे की बलि दी जाएगी। तब से ही यह मान्यता बरकरार है।