उत्तराखण्ड की प्रसिद्ध आराध्य मां धारी देवी 28 जनवरी को अपने मूल स्थान पर होगी विराजमान ।
धारी देवी माँ का मन्दिर अलकनंदा नदी के ठीक ऊपर 21 मीटर अपने मूल स्थान पर बनाया गया है ।
मां धारी देवी के पास साल के 12 महिनों भक्तो की आस्था की भारी भीड़ सुबह से मॉ के दरवार में पहुंचने पर लगी रहती है ।
मां धारी देवी को पहाड़ों की रक्षक और अराध्य देवी मानी जाती है जो भी भक्त अपनी मनोती लेकर मां के दरबार मे आते है वह पूर्ण हो जाती है ।
रुद्रप्रयाग ।।पौड़ी गढ़वाल के श्रीनगर में अलकनंदा पर कोटेश्वर नाम से जल विधुत परियोजना का निर्माण होने से वर्ष 2013 में 16 और 17 जून को केदारनाथ धाम से मंदाकिनी मेंआयी आपदा के कारण अलकनंदा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ गया था ।
नदी का जलस्तर बढ़ने के बाद मॉ धारी देवी की मूर्ति को मूल स्थान से हटा कर दूसरे स्थान पर विराजमान किया गया था । आपको बता दे कि मॉ का जो मूल स्थान था और मॉ धारी देवी की मूर्ति को जब दूसरे स्थान पर विराजमान किया गया तो कुछ लोगो का कहना है माँ धारी देवी के स्थान परिवर्तन करने से ही केदारनाथ की आपदा को जोड़ा गया है । धारी देवी के मूल स्थान से दूसरे स्थान पर विराजमान करने और पहाड़ें पर अत्यधिक मात्रा में जलविधुत परियोजनाओं द्वारा पहाड़ों में टनलों का निर्माण करना विनाश का कारण बन रहा है यह चर्चा संसद में भी गूंजी । अब आखिरकार लम्बी जदोजहद और लड़ाई के बाद 9 वर्षों बाद एक बार फिर से मॉ धारी देवी 28 जनवरी को अपने मूल स्थान पर विराजमान होगी जाएगी।
हालांकि मॉ धारी का पौराणिक मंदिर पहले ही जल विधुत परियोजना के कारण अलंकनदा नदी में बनी झील में डूब चुका है। अब मूल स्थान के ठीक ऊपर आरसीसी पिल्लर निकाल कर नये मंदिर का निर्माण किया गया है।
इन दिनों मंदिर में रंगरोगन के साथ सजावट को अंतिम रूप दिया जा रहा है।24 जनवरी से 28 जनवरी को शुभ -लग्नानुसार मॉ धारी को मूल स्थान पर बनाये गये मंदिर में विराजमान किया जाएगा।