उत्तराखंड में केदारनाथ धाम मंदिर विवाद सुलझने के बजाय ओर उलझता नजर आ रहा है। केदारनाथ धाम को लेकर अब विपक्षी दल कांग्रेस कल से अपनी केदारनाथ धाम बचाव यात्रा शुरू करने जा रहा है .. इस यात्रा के दौरान कांग्रेस हरिद्वार से लेकर केदारनाथ धाम तक जनता को जागरूक करेंगे और सरकार से सवाल पूछेंगे कि आखिर धामों को विस्थापित करने की आवश्यकता क्यों पड़ रही है
उत्तराखंड की आर्थिकी की रीढ़ राज्य के स्थापित चारों धाम है .. जिससे राज्य को विश्व भर में देवभूमि भी कहा जाता है। राज्य में स्थापित चारों धामों की मान्यता भी दुनिया में सनातन धर्म वालो के लिए बड़ी है। लेकिन अब केदारनाथ धाम को लेकर बड़ा विवाद उत्तराखंड में शुरू हो गया है … जिसका जन्म दिल्ली के बुराड़ी में हुआ .. जहां पर केदारनाथ धाम ट्रस्ट द्वारा केदारनाथ मंदिर का शिलान्यास किया गया और इस कार्यक्रम में राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मौजूद रहे। कार्यकर्म के बाद उत्तराखंड उत्तराखंड में इस मंदिर का विरोध होने लगा और लोगों में आरोप लगाना शुरू कर दिया कि उत्तराखंड से धर्म के राजनीतिक करने वाले भाजपा अब धामों को भी विस्थापित करने लगी है। कांग्रेस की तरफ से अब इस विषय पर हरिद्वार से केदारनाथ धाम तक पैदल यात्रा निकालने का ऐलान कर दिया गया है जिसने 24 जुलाई से हरिद्वार की हर की पैडी से पूजा अर्चना शुरू कर यह यात्रा निकाली जाएगी। पैदल यात्रा के दौरान कांग्रेस जनता को जागरूक करेगी और सरकार से सवाल पूछेंगी। केदारनाथ धाम की इस पैदल यात्रा पर राजनीति इस लिए हो रही है क्योंकि कुछ समय बाद केदारनाथ विधानसभा में उप चुनाव भी होना है । कांग्रेस की ये पैदल यात्रा प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा की अगुवाई में होगी जिसने कांग्रेस के तमाम बड़े नेता सम्मलित होंगे। इस यात्रा के दौरान रोजाना 20 से 25 किलो मीटर का सफर तय किया जाएगा।
कांग्रेस की यात्रा को लेकर सत्ताधारी दल भाजपा की तरफ से कांग्रेस पर आरोपी की बौछार की जा रही है। भाजपा का मानना है कि कांग्रेस पार्टी केदारनाथ धाम के नाम पर राजनीति का उपचुनाव के लिए अभी से ही अपनी भूमिका बनाने में जुटी है… जबकि जनता सारी सच्चाई जानती है। भाजपा का आरोप है कि जनता स्वयं कांग्रेस को सबक सिखाने का काम करेगी।
उत्तराखंड में विधानसभा के चुनाव के बाद सियासी जमीन कुछ विपक्ष के पाले में जाती दिख रही है .. जिसके बाद सत्ताधारी भाजपा के खेमे में चिंता ज्यादा बढ़ने लगी है .. क्योंकि लोकसभा चुनाव में भले ही भाजपा पांचो सीटों पर जीती हो … लेकिन भाजपा का मत प्रतिशत पिछले चुनाव की तुलना में इस बार काम रहा था। इसलिए कांग्रेस की इस पैदल यात्रा पर भाजपा के साथ-साथ दिल्ली की भी निगाहें टिकी हुई है.. क्योंकि आने वाले दिनों में केदारनाथ विधानसभा का उप चुनाव भी है। ऐसे में बद्रीनाथ विधानसभा का उपचुनाव भाजपा पहले ही हार चुकी है ..और अब केदारनाथ के लिए भी सियासत शुरू हो गई है।