करोड़ों का निर्माणाधीन भवन पूरा होने से पहले न हो जाए जमींदोज!

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डिग्री कॉलेज रुद्रप्रयाग के भवन के चारों तरफ पड़ी गहरी दरारें
आए दिन हो रही बारिश से भवन के आगे हो रहा भूधंसाव
चारों तरफ से बुनियाद ने छोड़ी जगह, खतरा बढ़ रहा
भूमि चयन के बाद से विवादों में रहा भवन

रुद्रप्रयाग। राजकीय महाविद्यालय रुद्रप्रयाग का निर्माणाधीन भवन कभी भी जमींदोज हो सकता है। अलकनंदा नदी के दूसरी तरफ रेतीली भूमि पर बन रहे करोड़ों की लागत से बन रहा भवन भूकटाव व भूधंसाव की चपेट में आ गया है। परिसर के आगे की जमीन तेजी से धंस रही है। साथ ही बुनियाद भी जगह-जगह अपनी जगह छोड़ रही है।
जवाड़ी में महाविद्यालय का निर्माणाधीन कैंपस परिसर शासन व उच्च शिक्षा निदेशालय की लापरवाही का सबसे बड़ा प्रत्यक्ष उदाहरण है। भू-वैज्ञानिकों के सर्वेक्षण में भूमि को निर्माण के उपयोग लायक नहीं होने की बात कहने के बाद भी रेतीली जमीन पर निर्माण कार्य किया जा रहा है, जो अब कभी भी जमींदोज हो सकता है।

इस बरसाती सीजन में आए दिन हो रही मूसलाधार बारिश से निर्माणाधीन कैंपस के चारों तरफ जमीन पर दरारें पड़ गई हैं, जिससे यहां जगह-जगह भूधंसाव हो रहा है। स्थिति यह है कि चार कक्षा-कक्षों वाला जो भवन बनकर तैयार हो चुका है, उसके आगे पूरी जमीन पर दो से पांच फीट गहरे गड्ढ़े पड़े हुए हैं।

साथ ही भूधंसाव हो रहा है। यही नहीं, भवन के एक तरफ मिट्टी की परत टूटने से बुनियाद के अंदर बरसाती पानी भरने का खतरा बन रहा है। जिस तरह से यहां बरसाती पानी से जमीन को नुकसान हो रहा है, उससे आने वाले दिनों में अनहोनी से इंकार नहीं किया जा सकता है। छात्र-छात्राओं ने भी कॉलेज कैंपस निर्माण में कार्यदायी संस्था व विभाग पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है।

एक दशक पूर्व हुआ भूमि का चयन
रुद्रप्रयाग। वर्ष 2010 में राजकीय महाविद्यालय रुद्रप्रयाग के कैंपस के लिए जवाड़ी गांव के समीप भूमि का चयन किया गया था। वर्ष 2016 में भारत सरकार के रूसा (राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान) से भवन निर्माण के लिए करीब 2.40 करोड़ रुपये जारी किए गए। बीते चार वर्षों में विधायक, प्रभारी मंत्री, शिक्षा मंत्री निर्माणाधीन कैंपस का कई बार निरीक्षण कर चुके हैं। लेकिन किसी ने भी वहां के हालातों का बारीकी से अध्ययन कराने को लेकर अपने स्तर से कोई प्रयास नहीं किया।

जीजीआईसी के भवन पर चल रहा कॉलेज
रुद्रप्रयाग। वर्ष 2006 से संचालित राजकीय महाविद्यालय का संचालन राजकीय बालिका इंटर कॉलेज के पुराने भवन पर चल रहा है। कॉलेज में बीए, बीएससी, बीबीए, बीसीए, बीएससी हाल्टीकल्चर और बीटीए पाठ्यक्रम संचालित हो रहे हैं। लेकिन जगह के अभाव में एक साथ इतने पाठ्यक्रमों में छात्र-छात्राओं के बैठने की व्यवस्था चुनौती बनी हुई है।

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