रुद्रप्रयाग।उत्तराखण्ड राज्य निर्माण के 23 वर्ष पूण होने व 24 वर्ष में हम लोग प्रवेश करने जा रहे हैं लेकिन उत्तराखण्ड के पहाड़ी जिलों में अध्यापकों की कमी व स्कूलों में भवनों का अभाव आज भी बना हुआ है आज भी ग्रामीण क्षेत्रो के बच्चे जर्जर व क्षतिग्रस्त भवनों में पढ़ने को विवश हो रखे है। सरकारें इन विद्यालयों की स्थिति सुधारने का प्रयास तो करती है लेकिन विभागीय बजट सीमित होने से जीर्ण शीर्ण व भवनों की हल्की मरम्मत करा कर ग्रामीणों को सन्तोष करवाना पड़ता है आज बात कर रहे है जनपद रुद्रप्रयाग के विकासखण्ड जखोली के दूरस्थ राजकीय प्राथमिक विद्यालय कोटबांगर की जंहा वर्तमान में 37 छात्र अध्यनरत है।इस विद्यालय की स्थापना वर्ष 1942 में हुई थी जिसके अंतर्गत पूर्व में कई गांव के बच्चे यंहा पढ़ा करते थे आज यह विद्यालय जर्जर हुए भवन की दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है ।ग्राम प्रधान कोटबांगर संजय सेमवाल द्वारा विद्यालय भवन के नव निर्माण को लेकर बीडीसी के माध्यम से जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग तक गुहार लगा चुके हैं लेकिन हर बार अधिकारी बजट कमी का अभाव होने का बहाना बना कर नए भवन निर्माण में रोड़ा बन जाते है इस विद्यालय से पढ़ने वाले छात्र आज देश विदेश से लेकर संस्कृत के वेदाचार्य निकले हैं लेकिन वर्तमान समय मे इस विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों का भविष्य संसाधनों के अभाव में अंधकारमय होने जा रहा है ।स्कूल का भवन कई जगह से क्षतिग्रस्त वभवन के ऊपर स्लेप (लेंडर) पर दरारें पड़ने से पूरा पानी कमरों में भर जाता है और अध्यापकों को बच्चों की पढ़ाई भवन के बरामदे में करवानी पड़ती है बरसाती सीजन में थोड़ी सी बारिश होने पर कमरों में बच्चों की किताबे खराब हो जाती है ।स्कूल के भवन की जर्जर स्थिति को देखते हुए कई बार तो अविभावक अपने बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए विद्यालय नही भेज पाते है।आज गांव की स्थिति ऐसी है जो लोग आर्थिक रूप से सम्पन है उन लोगो ने अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश करा दिया है मगर सीमित संसाधन वाले लोग इन्ही विद्यालयों में अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए मजबूर हो रखे है।विद्यालय भवन जीर्ण शीर्ण के सम्बंध में जिला बेसिक शिक्षाधिकारी जितेंद्र बर्मा का कहना है की पूर्व में प्रधान कोट बांगर द्वारा विद्यालय की मरम्मत के सम्बंध में अवगत कराया गया था ।विभाग द्वारा विद्यालय की बृहद मरम्मत कार्य हेतु राज्य सेक्टर2022-2023 में प्रस्तावित किया गया है।जैसे ही बजट की स्वीकृत होगा विद्यालय की मरम्मत का कार्य करवा दिया जाएगा ।ऐसे में यदि  समय रहते शिक्षा विभाग द्वारा ऐसे जीर्ण शीर्ण  विद्यालयों की स्थिति में सुधार नही करवाया जाता तो भविष्य इनमें पढ़ने वाले नोनिहालो के साथ कोई बड़ी दुर्घटना घटित हो सकती है ।

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