कैलाश विदाई के साथ ही नंदा की लोकजात सम्पन्न,नंदा को विदा करते समय फफक-फफक कर रोने लगी महिलाएं।

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रिपोर्ट-पुष्कर सिंह नेगी।

चमोली -उत्तराखंड-आखिरकार बीते एक पखवाडे से चल रही मां नंदा देवी की वार्षिक लोकजात यात्रा का आज समापन हो गया। उच्च हिमालयी बुग्याल में श्रद्धालुओं नें पौराणिक लोकगीतों और जागर गाकर हिमालय की अधिष्धात्री देवी माँ नंदा राजराजेश्वरी को हिमालय के लिये विदा किया।

यहां के लोग मां भगवती राजराजेश्वरी नंदादेवी को अपनी ध्याण यानी अपनी बहिन और बेटी मानते हैं को विदा करते समय महिलाओं की आंखे अश्रुओं से छलछला गयी। खासतौर पर ध्याणियां मां नंदा की डोली को कैलाश विदा करते समय फफककर रो पड़ी। इस दौरान श्रद्धालुओं नें अपने साथ लाये खाजा- चूडा, बिंदी, चूडी, ककड़ी, मुंगरी भी समौण के रूप में माँ नंदा को अर्पित किये। अपने अंतिम पडाव से शनिवार सुबह नंदा सप्तमी के दिन नंदा ,राजराजेश्वरी की डोली हिमालयी उच्च बुग्याल बेदनी, बंड की नंदा डोली नरेला बुग्याल, कुरूड दशोली की नंदा डोली बालपाटा पहुंची और यहां पर पूजा अर्चना कर, तर्पण करके मां नंदा को कैलाश के लिए विदा किया। आपको बताते चलें कि मां नंदा देवी की लोकजात और राजजात उत्तराखंड ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है।और प्रत्येक बारह वर्षों में आयोजित होने वाले राजजात को हिमालयी कुंभ के नाम से जाना जाता है और यह राजजात हिमालय कै रूपकुंड तक जाती है तथा आज संपन्न हुई लोकजात बेदनी कुण्ड तक जाती है। जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने मां नंदा देवी को उनके ससुराल कैलाश के लिए विदा किया।

*वेदनी में रूपकुंड महोत्सव का रंगारंग समापन।*

नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा के अवसर पर वेदनी में आयोजित तीन दिवसीय रूपकुंड महोत्सव का भी शानदार समापन हो गया। जिसमें लोकगायक सुन्दर बिष्ट, गंगा सिह लाटू पुजारी, वाण महिला मंगल दल, सुतोल महिला मंगल दल, बलाण महिला मंगल दलो नें शानदार कार्यक्रम प्रस्तुत किये।

*बुग्याल बचाने के लिए पोस्टर अभियान।*

वेदनी बुग्याल में स्थानीय ग्रामीणों नें पोस्टर अभियान के जरिए लोगो को बुग्याल बचाने का संदेश दिया और बुग्याल को स्वच्छ रखने की अपील की। इस अवसर पर गढभूमि एडवेंचर व वन विभाग ने लोगो को हिमालय के प्रति संवेदनशील बने रहने का संदेश दिया।

नरेला बुग्याल में सम्पन्न हुई बंड की नंदा की लोकजात
शनिवार सुबह पंचगंगा से नरेला बुग्याल पहुंची बंड की नंदा डोली जहां पर पूजा अर्चना करके मां नंदा को कैलाश के लिए विदा किया।

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