चमोली
चमोली कस्बे में बदरीनाथ हाईवे पर स्थित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के लोहे के ढांचे में करंट फैलने से पल भर में 16 व्यक्तियों की जान चली गई। मृतकों में एक दारोगा और तीन होमगार्ड भी हैं, जबकि तीन मृतक एक ही परिवार के हैं। हादसे में 11 अन्य लोग झुलस गए, जिनमें दो की हालत गंभीर बनी हुई है। इनमें से छह का एम्स ऋषिकेश और पांच का जिला चिकित्सालय गोपेश्वर व उप जिला चिकित्सालय कर्णप्रयाग में उपचार चल रहा है।
झुलसने वालों में जल संस्थान के एक जेई और एसटीपी का सुपरवाइजर भी शामिल है। एसटीपी सुपरवाइजर का जिला चिकित्सालय गोपेश्वर में पुलिस की निगरानी में उपचार चल रहा है। बुधवार सुबह प्लांट के चौकीदार की मौत से गुस्साए स्वजन और उसके गांव के लोग वहां पहुंचे थे। मृतक के शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए पुलिस भी वहां पहुंची थी। चौकीदार की मौत का कारण तब तक स्पष्ट न होने की वजह से ग्रामीणों और पुलिस के बीच गतिरोध चल रहा था, तभी यह हादसा हो गया। हालांकि, बाद में यह भी स्पष्ट हो गया कि चौकीदार की मौत भी करंट लगने से हुई थी। प्रथम दृष्टया हादसे का कारण एसटीपी का संचालन कर रही कंपनी की लापरवाही सामने आ रहा है।
यह हादसा एक ट्रांसफार्मर के फटने की वजह से हुआ है, मगर अभी तक इसकी भी पुष्टि नहीं हो पाई है। ऊर्जा निगम के अधिकारियों ने इससे स्पष्ट तौर पर इन्कार किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के क्रम में जिलाधिकारी चमोली हिमांशु खुराना ने एडीएम डा. अभिषेक त्रिपाठी को जांच सौंपी है। उन्हें सप्ताह भर में रिपोर्ट देनी है। शासन ने भी ऊर्जा सुरक्षा विभाग को उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। एसपी प्रमेंद्र सिंह डोबाल ने बताया कि फिलहाल घटना को लेकर कोई तहरीर नहीं मिली है।
कब-कब क्या हुआ
घटनाक्रम के अनुसार, कंपनी में चौकीदार गणेश (27) निवासी हरमनी की मंगलवार को नाइट शिफ्ट थी। प्लांट में ठहरने की व्यवस्था नहीं होने के कारण आमतौर पर वह रात में निरीक्षण के बाद घर चला जाता था। मंगलवार रात वह घर नहीं पहुंचा तो स्वजन ने उसे फोन किया, लेकिन फोन नहीं उठा। बुधवार सुबह सवा आठ बजे प्लांट ऑपरेटर हरमनी निवासी धीरज कुमार वहां पहुंचा तो गणेश एसटीपी की सीढ़ियों के पास अचेत मिला। उसने प्लांट सुपरवाइजर पवन चमोला, गणेश के स्वजन और पुलिस को सूचना दी। कुछ ही देर में पुलिस, प्लांट, पेयजल निगम और जल संस्थान के अधिकारी मौके पर पहुंच गए।
गणेश की मृत्यु की पुष्टि होने पर शव का पोस्टमार्टम कराने की प्रक्रिया पूरी करने के लिए पीपलकोटी चौकी प्रभारी उप निरीक्षक प्रदीप रावत वहां पहुंचे। इस बीच गणेश के स्वजन व गांव के काफी लोग भी वहां पहुंच गए और पोस्टमार्टम से पहले मौत के कारणों की जांच व मुआवजा देने की मांग करने लगे। उस समय एसटीपी के साथ ही पूरे इलाके में बिजली की आपूर्ति बंद थी। ऊर्जा निगम ने फाल्ट ठीक करने के लिए शटडाउन लिया हुआ था। निगम को उस क्षेत्र में मंगलवार शाम से तीन फेज की लाइन में एक में आपूर्ति नहीं होने की शिकायत मिली थी।
ऊर्जा निगम कर्मियों ने जैसे ही एसटीपी से करीब एक किलोमीटर दूरी पर मिले फाल्ट को ठीक कर कंट्रोल रूम से 11:25 बजे आपूर्ति सुचारु करवाई, तभी एसटीपी में करंट फैल गया। एसटीपी में मौजूद लोग इस बात से अनजान थे कि ऊर्जा निगम कर्मियों ने शटडाउन लिया हुआ है। हालांकि, ऊर्जा निगम के अधिकारियों का कहना है कि एसटीपी की आंतरिक विद्युत लाइनों में लीकेज से रेलिंग व टिन शेड में करंट फैला। बताया जा रहा है कि हादसे के वक्त कुछ लोग लोहे की रेलिंग पकड़कर खड़े थे, जबकि कुछ रेलिंग की आड़ में बैठे हुए थे। चौकी प्रभारी एसटीपी की सीढ़ियों पर बैठकर पंचनामा की कार्रवाई कर रहे थे।
चार सेकेंड में खत्म हुईं 16 जिंदगियां
करंट ने किसी को हिलने का भी मौका नहीं दिया। यह दृश्य देख रहे स्थानीय निवासियों ने ऊर्जा निगम को सूचना दी और इसके बाद निगम के कंट्रोल रूम से 11:29 बजे प्लांट समेत पूरे क्षेत्र की बिजली काट दी गई। तब तक वहां मौजूद 15 लोग दम तोड़ चुके थे, 11 अन्य बेहोश थे। इनमें से छह को हेली रेस्क्यू कर एम्स ऋषिकेश ले जाया गया। देर शाम छह चिकित्सकों की टीम ने शवों का पोस्टमार्टम किया। एसपी प्रमेंद्र सिंह डोबाल ने बताया कि पीएम रिपोर्ट में प्लांट के चौकीदार समेत सभी 16 व्यक्तियों की मौत का कारण करंट लगना और हृदयाघात आया है।
50 केएलडी क्षमता का यह एसटीपी गोपेश्वर से 10 किमी दूर अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है। पेयजल निगम ने नमामि गंगे परियोजना के तहत वर्ष 2018 में इसका निर्माण किया था। वर्ष 2021 में इसे जल संस्थान को हस्तांतरित किया गया। जल संस्थान ने 15 वर्ष के लिए इसका संचालन कोयंबटूर (तमिलनाडु) की कांफिडेंट इंजीनियरिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और पटियाला (पंजाब) की जयभूषण मलिक एंड कांट्रैक्टर कंपनी को सौंपा हुआ है।
पीड़ित परिवारों से मिलने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हेलीकॉप्टर में देहरादून से चमोली के लिए रवाना हुए, लेकिन मौसम अनुकूल नहीं होने के कारण उन्हें बीच रास्ते से लौटना पड़ा। इसके बाद मुख्यमंत्री ने एम्स ऋषिकेश पहुंचकर झुलसे पीड़ितों का हाल जाना। अब मुख्यमंत्री गुरुवार को चमोली के लिए रवाना होंगे। स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत ने जिला चिकित्सालय गोपेश्वर पहुंचकर पीड़ितों का हाल जाना और पीड़ित परिवारों को हर संभव सहायता का भरोसा दिया।
इनकी गई जान
उप निरीक्षक प्रदीप रावत, चौकी प्रभारी पीपलकोटी, चमोली
होमगार्ड मुकंदे राम (55) निवासी ग्राम हरमनी चमोली
होमगार्ड गोपाल (57) निवासी ग्राम रूपा चमोली
होमगार्ड सोबत लाल निवासी ग्राम पाडुली, चमोली
सुमित (25) निवासी ग्राम रांगतोली चमोली
सुरेंद्र (33) निवासी ग्राम हरमनी चमोली
देवी लाल (45) निवासी ग्राम हरमनी चमोली
एसटीपी इंचार्ज योगेंद्र सिंह निवासी ग्राम हरमनी चमोली
सुरेंद्र सिंह रावत (38) निवासी ग्राम हरमनी चमोली
विपिन (26) निवासी ग्राम पाटोली गोपेश्वर चमोली
मनोज कुमार (38) निवासी ग्राम हरमनी चमोली
सुखदेव (33) निवासी ग्राम रांगतोली चमोली
प्रमोद कुमार, ग्राम हरमनी चमोली
दीपू कुमार (33) निवासी ग्राम हरमनी चमोली
महेंद्र लाल (48) निवासी ग्राम हरमनी चमोली
गणेश (27) निवासी ग्राम हरमनी चमोली