फ्लावर्स, उत्तराखंड,
चमोली।, उत्तराखंड की विश्व प्राकृतिक धरोहर और चमोली जिले की लोकपाल घाटी में स्थित अपनी दुर्लभ जैवविविधता के लिए प्रसिद्ध फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान में इस बार बर्फ के देर से पिघलने और मौसम में आए बदलाव के चलते घाटी में पुष्पों की रंगत बदली बदली नजर आ रही है अभी जून माह में पुष्पों की कम प्रजातियां देखने को मिल रही है, हालांकि पार्क के अधिकारियों का दावा है कि इस बार मध्य जुलाई से अगस्त के बरसात के सीजन में यहां रंग बिरंगे पुष्पों की वाटिका क्यारियां नजर आएंगी और ये पुष्प घाटी अपने शबाब पर होगी, वर्ष 2005 में यूनेस्को द्वारा घाटी को विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया, तब से लगातार वैली ऑफ फ्लावर्स देशी विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद बनी हुई है, इस बार वैली ऑफ फ्लावर्स के प्रवेश द्वार से आगे कुछ दूरी पर ही विशाल ग्लेशियर पर्यटकों का स्वागत करते दिख रहा है और आजकल घाटी में एनिमोना, पोटेंटिला,जिरेनियम,एस्टर,बटरकेप, प्रिमुला,मार्श मेरीगोल्ड,सहित कोबरा लिली और डोलू, खिला हुआ है साथ ही घाटी में द्वारी पेरा टॉप से आगे एक और हिमखंड पर्यटकों की बाट जोह रहा है,अल्पाईन हिमालई पुष्पों की इस दुर्लभ घाटी में यात्रा बेस कैम्प घांघरिया से 4 किलोमीटर विकट और थका देने वाली चढ़ाई को पार कर प्रकृति प्रेमी जब फूलों की घाटी के मध्य भाग बामन धोड कम्पार्टमेन्ट में पहुंच रहे है तो उन्हें अभी पुष्पों की क्यारियां दूर दूर तक नजर नहीं आ रही है, दरअसल मई माह तक बर्फबारी होने से घाटी में उगने वाले दुर्लभ पुष्पों के जीवन चक्र में आंशिक बदलाव आना लाजमी है लिहाजा पर्यटक आजकल घाटी में प्रकृति के दर्शन और ग्लेशियरों का दीदार करने के साथ घाटी के दूसरे छोर पर कल कल बहती पुष्पावती नदी के अविरल धारा को निहारते हुए वापस लौट रहे है, जानकारों का कहना है कि अभि कुछ ओर समय लग सकता है घाटी में पुष्पों के खिलने में, मिड जुलाई से मिड अगस्त तक फूलों की घाटी में सैकड़ों प्रजाति के दुर्लभ पुष्प खिलते है, और यही पीक सीजन होता है घाटी का, फ़िलहाल फूलों की घाटी में कम फूल खिलने से प्रकृति प्रेमी मायूस नजर आ रहे है।