भूधंसाव से शीशों-बंदरतोली सिंचाई नहर के अस्तित्व पर खतरा
तीन सौ मीटर हिस्से में नहीं हो पा रही पानी की सप्लाई
सिंचित भूमि बंजर होने के कगार पर पहुंची
किसानों ने खेतों में बोया मंडुवा, झंगोरा ।
रुद्रप्रयाग (तिलवाडा)जखोली ब्लॉक के सिलगढ़ पट्टी के शीशों, बंदरतोली, पंद्रोला गांव की 1100 नाली भूमि की सिंचाई करने वाली पांच किमी लंबी शीशों-बंदरतोली सिंचाई नहर के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। मंदाकिनी नदी से हो रहे कटाव के चलते नहर का तीन सौ मीटर हिस्सा भूधंसाव में आ गया है, जिससे खेतों तक पानी नहीं पहुंच रहा है। ऐसे में काश्तकारों की सिंचित भूमि बंजर होने के कगार पर पहुंच चुकी है। जिन खेतों में इन दिनों धान की रोपाई होनी थी, वहां काश्तकारों ने मंडुवा व झंगोरा बोया है।70 के दशक में लस्तर नदी से बनाई गई शीशों-बंदरतोली नहर का निर्माण किया गया था। इस नहर से शुरूआती समय में दो सौ नाली भूमि की सिंचाई की गई। बाद में सिंचित भूमि का दायरा बढ़ता गया और बीते वर्ष 1100 नाली भूमि की सिंचाई होती रही। लेकिन इस बार, भूधंसाव के चलते सिंचाई नहर कई माह से 300 मीटर जगह-जगह क्षतिग्रस्त पड़ी हैं। जिस कारण खेतों तक पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि पॉलीथिन लगाकर जैसे-तैसे पानी को खेतों तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन यह नाकाफी हो रहा है, जिस कारण खेत बंजर होने के कगार पर पहुंच गए हैं। विभाग को कई बार अवगत कराने पर भी सुध नहीं ली जा रही है। क्षेत्र पंचायत सदस्य निर्मला बहुगुणा व ग्राम प्रधान सुरवीर खत्री का कहना है कि
क्षेत्रीय क्षेत्र पंचायत सदस्य निर्मला बहुगुणा, पूर्व ग्राम प्रधान एवं सामाजिक कार्यकर्ता ओम प्रकाश बहुगुणा, ग्राम प्रधान शिंशो सुरबीर खत्री का कहना है कि 2013 की आपदा में मन्दाकिनी नदी के कटाव से सूर्यप्रयाग कंडाली मुसाडुंग मोटर मार्ग का एक बड़ा हिस्सा इसकी चपेट में आ गया था जिस कारण कई दिनों तक यातायात बाधित रहा और तब आज तक नहर ठीक नही हो पाई जबकि सिंचाई मंत्री महाराज जी व जिला प्रसाशन से कई बार मांग की गई है । उनका कहना था कि बिना पाइप के इस नहर को नही चलाया जा सकता है ।