• कभी केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में लगाई जाती थी खाडू घास
    समय के साथ मंदिर की सजावट में होते रहे परिवर्तन
    पत्थर, टिन, चांदी के अब लगेंगी सोने ।
    रुद्रप्रयाग। श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति एक दानी-दाता की मदद से केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर सोने की परत लगाने जा रही है। इससे पूर्व मंदिर के गर्भगृह में साज-सज्जा को लेकर समय-समय पर परिवर्तन
    होते रहे हैं। दशकों पूर्व मंदिर की गर्भगृह की दीवारों पर खाडू घास लगाई जाती थी, जिसकी केदारघाटी के चिह्नित स्थानों पर इस घास को उगाया जाता था।
    समुद्रतल से 11750 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ मंदिर का निर्माण पांडवकालीन बताया जाता है। मान्यता है कि केदारनाथ मंदिर चार सौ वर्षों तक बर्फ के नीचे ढका रहा। बाद में धीरे-धीरे बर्फ पिघली और मंदिर का ढांचा नजर आया। नौंवी सदी में आदिगुरू शंकराचार्य ने केदारनाथ मंदिर का पुनरोद्घार किया। इसके बाद संभवतः यात्रा का शुभारंभ हुुुआ होगा। केदारनाथ की पहली कैमरा फोटो वर्ष 1880 के करीब मिली है, जिसमें दिखाई देता है कि मंदिर के चारों तरफ खाली स्थान है। समय के साथ केदारनाथ में परिवर्तन देखने को मिले। केदार सभा के पूर्व अध्यक्ष महेश बगवाड़ी बताते हैं कि दशकों पूर्व केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को खाडू घास से सजाया जाता था। खाडू घास उगाने के लिए कुछ खेत थे, जो ढालनुमा होते थे और उन्हें स्थानीय भाषा में खड़वान कहते थे। बाद में घास के स्थान पर पत्थरों ने लिया। गर्भगृह की फर्श और दीवारों को कटवा पत्थरों से तैयार किया गया, जिससे उनकी भव्यता बढ़ गई। इसके बाद दीवारों पर टिन लगाई गई, जो कई वर्षों तक रही। उसके बाद उसे भी हटा दिया गया। आपदा के बाद वर्ष 2017 में मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर चांदी की परत लगाई गई। अब, सोने की परत लगाने के लिए कवायद चल रही है, जिसके तहत ट्रायल के तौर पर इन दिनों तांबे की प्लेट लगाई जा रही हैं। अक्तूबर में गर्भगृह की दीवारें, जलेरी व छत स्वर्णमंडित हो जाएंगी।
    1960 तक केदारनाथ में थी सिर्फ एक दुकान
    रुद्रप्रयाग। केदारनाथ में भवन निर्माण को लेकर वर्ष 1980 में नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग ने एक सर्वेक्षण किया था, जिसके अनुसार 1960 तक केदारनाथ में सिर्फ एक दुकान थी। उसके दस वर्षों में यहां तीन दुकानें और खुल गईं थी। जबकि सरकारी व स्वायत्त संस्थाओं के 47 भवन भी बन चुके थे। इसके बाद यहां निर्माण की रफ्तार इस कदर बढ़ी कि वर्ष 1980 तक यहां 146 भवन बनकर तैयार हो गए थे। जून 2013 की आपदा से पूर्व केदारनाथ में 350 से अधिक भवन बन चुके थे। आपदा में लगभग डेढ़ सौ भवन सैलाब में बह गए थे। जबकि अन्य में कई बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए थे।

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