मंदिर समिति ने 17 कार्मिकों के नियम विरूद्ध किये प्रमोशन
यात्राकाल के दौरान स्थानान्तरण का औचित्य क्या: कांग्रेस
रुद्रप्रयाग। प्रदेश में बैकडोर से विधानसभा भर्ती घोटाले को लेकर बेरोजगार नौजवान सड़कों में हैं, वहीं इसी का फायदा उठाते हुए बद्री-केदार मंदिर समिति ने एक नया कारनामा कर दिखाया है। मंदिर समिति ने मध्य यात्राकाल में 70 कार्मिकों का तबादला किया गया है, जबकि शहरी विकास विभाग में हाल ही में हुए 72 तबादलों पर सीएम धामी ने संज्ञान लेते हुए तत्काल रोक लगा दी। बावजूद इसके मंदिर समिति ने तबादला एक्ट का उल्लंघन कर मुख्यमंत्री को ही बाईपास कर दिया है।
प्रदेश में विधानसभा में बैकडोर से भर्ती के मामलों के साथ ही शहरी विकास मंत्रालय में तबादला एक्ट के विरूद्ध हुए स्थानान्तरणों पर शोर मचा हुआ है। वहीं इसका फायदा उठाते हुए बद्री-केदार मंदिर समिति अध्यक्ष के अनुमोदन पर तबादला एक्ट को धत्ता बताते हुए सीईओ ने चारधाम यात्रा के मध्य में ही मंदिर समिति में तबादलों की सूची जारी कर दी है। अभी मंदिर समिति में चल रहे व्याप्त भ्रष्टाचार व भाई-भतीजावाद की आग ठंडी भी नहीं हुई थी कि कांग्रेस ने एक बार फिर से मंदिर समिति पर निशाना साधते हुए जहां तबादलों को नियम विरूद्ध करार दिया है,
वहीं यहां हुई प्रोन्नतियों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस ने मंदिर समिति में हुए तबादलों को राज्य सरकार के तबादले एक्ट के विपरित कार्यप्रणाली करार दिया है।
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सूरज नेगी ने आरोप लगाते हुए कहा कि मंदिर समिति के अध्यक्ष के अनुमोदन पर 22 सितम्बर 2022 को तबादले एक्ट का उल्लंघन कर 70 कार्मिकों का स्थानान्तरण का आदेश जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि विगत माह मंदिर समिति में 17 कार्मिकों के नियम विरूद्ध प्रमोशन हुए थे, उनमें से पदोन्नति समिति में चार कार्मिक ऐसे बैठे थे, जिनके द्वारा अपने पदोन्नति की संस्तुति स्वयं की गई। जिसमें उप मुख्य कार्याधिकारी, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी एवं प्रशासनिक अधिकारी प्रमुख रूप से शामिल थे। ये पदोन्नतियां शासन द्वारा प्रच्चलित नियमों के विरूद्ध की गई हैं। नेगी ने कहा कि सरकार ऐसे प्रोन्नतियों पर रोक लगाए, जिसमें प्रोन्नति समिति में खुद की प्रोन्नति करने वाले कार्मिक सदस्य के रूप में सम्मिलित रहे। उन्होंने कहा कि शासन द्वारा मंदिर समिति में उक्त पदोनतियों को निरस्त करने की कार्यवाही की जानी चाहिए थी, मगर समिति द्वारा यात्राकाल के चरम में इन 17 पदोनति कार्मिकों के साथ ही 53 अन्य कार्मिकों का भी स्थानान्तरण बिना नियमों एवं प्रक्रियाओं को अपनाए जारी कर दिया। नेगी ने कहा कि मंदिर समिति में राज्य सरकार द्वारा बनाये गये तबादला एक्ट का भी उल्लंघन किया गया है। अगर मंदिर समिति में कार्य सही प्रणाली से हो रहे हैं तो समय रहते क्यों नहीं कार्मिकों के स्थानान्तरण किए गए। आखिर क्यों मंदिर समिति की ओर से ऐसे कार्य किये जा रहे हैं, जिन पर आपत्तियां लगाई जानी आवश्यक हैं। क्या उत्तराखण्ड सरकार और शासन का समिति पर किसी भी प्रकार का नियंत्रण नहीं है, जो इस प्रकार मनमाने निर्णय किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी किसी भी विभाग या समिति में स्थानान्तरण का विरोध नहीं करती है, मगर जब सरकार व समितियों में बैठे लोग नियम, कानूनों व तबादला एक्ट का उल्लंघन व्यक्तिगत स्वार्थ या भ्रष्टाचार के लिए करते हैं तो ऐसे में कांग्रेस पार्टी हर स्तर पर जाकर सरकार व शासन को जगाने का प्रयास करती रहेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जल्द ही मामले में दखल दे और मंदिर समिति में हो रहे भ्रष्टाचार, भाई-भतिजावाद और तबादला एक्ट के विपरित किये गये तबादलों पर तत्काल रोक लगाए। प्रदेश प्रवक्ता सूरज नेगी ने कहा कि यदि मंदिर समिति में हुई नीतियों, प्रोन्नतियों व तबादलों पर जांच की जाए तो बद्री-केदार मंदिर समिति में भी वही स्थिति सामने आयेगी, जो विधानसभा की जांच में सामने आई है।
वहीं बद्री-केदार मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी योगेन्द्र सिंह ने कहा कि मंदिर समिति में कार्मिकों के पटल बदले गये हैं। तबादला एक्ट के तहत ही तबादले किये गये हैं। कतिपय कर्मचारी लम्बे समय से एक जगह पर थे। बोर्ड बैठक में यह निर्णय लिया गया है और यात्रा पर इन तबादलों से कोई फर्क नहीं पड़ा है। उन्होंने कहा कि तबादलों में एक्ट का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। सभी कार्मिकों को उनकी योग्यता के अनुसार नये पटल पर स्थानान्तरित किया गया है। साथ ही उन्होंने यह कहा कि बोर्ड बैठक में समिति के अध्यक्ष के अनुमोदन के उपरांत तबादला सूची जारी की गई थी, जिसको मेरे हस्ताक्षर से जारी कर दिया गया है।