चमोली।…जोशीमठ भू धंसाव:- प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करना हुआ शुरू, अब तक छः परिवारों को शिफ्ट किया गया।।
जोशीमठ मे लगातार हो रहे भू धंसाव ने अब रोंद्र रूप लेना शुरू कर दिया है, मकानों, खेतों, गौशालाओं, और हाई वे पर पड़ी दरारों के बाद अब मारवाड़ी जेपी कम्पनी कैंपस के समीप जमीन के अंदर से मटमैला पानी लगातार बाहर आने की घटना से पूरा जोशीमठ नगर भयभीत है, वहीं मकानों मे दरारें चौड़ी होती जा रही है तो जमीन अब फटने लगी है। वहीं आज तड़के ही मारवाड़ी वार्ड में जीपी कम्पनी के मन्दिर के पास जमीन से भारी मात्रा में मटमैला पानी निकलने लगा और पास की सड़क करीब कई मीटर धसने लगी जिससे मारवाड़ी वार्ड में भी दहशत है साथ ही आज जोशीमठ मुख्य राजमार्ग पर टीसीपी पुलिस स्टेशन के पास बहुमंजिला होटल माउंट व्यू ओर होटल मलारी इन में बड़ती दरारों के बीच दोनों इमारतें आपस में चिपक गई है,और आगे दरार बढ़ने से इस होटल के निचले इलाकों मे रह रहे परिवारों को खतरे से बचाने के लिए प्रशासन ने अब तक छः परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कर दिया है। आज सुबह भू धंसाव प्रभावित कुछ परिवार के लोगों ने जान जोखिम में डाल कर अपने घरों से कुछ सामान बाहर निकाल कर नगर पालिका जोशीमठ के गेस्टहाऊस में बने वैकल्पिक व्यवस्था वाले कमरों में शिफ्ट किया है,
वंहा निवासरत पांच परिवारों को नगर पालिका के कक्षों में जबकि एक परिवार को ब्लॉक कार्यालय परिसर में शिफ्ट कर दिया गया है।
जोशीमठ नगर के मनोहर बाग वार्ड से सिंहधार वे मारवाड़ी वार्ड तक के क्षेत्र मे भू धंसाव बहुत तेजी से हो रहा है, मनोहर बाग वार्ड मे बीती रात्रि को दो गौशालाएं जमींदोज हो गई है, जबकि भूमि के फटने का क्रम दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। पूर्व ब्लॉक प्रमुख और मलारी इन होटल जो भू धंसाव की चपेट में है के स्वामी ठाकुर सिंह राणा का कहना है कि शाशन प्रशासन जोशीमठ को नहीं बचा पा रहा तो और क्या कर पाएगा, सरकार की नीति ऐसी है कि हमें जनवरी माह की कंपकपी वाली ठंड में आग के सहारे खुले आसमान में रत जगा करने को मजबूर होना पड़ रहा है, उन्होंने कहा कि छेत्र का निर्माणाधीन एनटीपीसी का हाइड्रो पावर प्रोजैक्ट को इस धसाव का दोषी है कहा कि एनटीपीसी के केचमेंट ट्रीटमेंट के नाम पर करोड़ों का बजट ठिकाने लगाने वालों की भी जांच इस भू धंसाव रिपोर्ट के साथ हो ताकि उन दोशियो को भी सजा मिले,पूरा शहर भू धंसाव की चपेट मे है, लोग रतजगा के लिए विवश हैं, ऐसे में अब शासन-प्रशासन को चाहिए कि जल्द से जल्द इस ऐतिहासिक धार्मिक पर्यटन नगर को बचाने के लिए एक्स्पर्ट भूगर्भ वेत्ताओ की टीम जोशीमठ भेजे और यहां जमीन के अंदर मची पानी की उथल पुथल की हकीकत सामने लाते हुए इसका ट्रीटमेंट करे ओर प्रभावितों को फौरन राहत के तौर पर आशियाने कि व्यवस्था करा दे ताकि बर्फबारी से पहले प्रभावित परिवार सुरक्षित ठिकानों पर पहुंच सके और जान माल का नुक़सान कम हो पाए।

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