आपदा प्रबंधन पर उठ रहे है सवाल ,पांच दिनों से मृत ट्रेकर का शब नही निकाल पाए अब तक ।
प्रशासन का तर्क मौसम खराब व हेली सेवा न मिलने से हो रही है देरी ।
रुद्रप्रयाग। उत्तराखण्ड के पहाड़ी जिलो में पैदल ट्रेक बड़े ही खतरनाक साबित हो रहे है हाल में उत्तरकाशी के ट्रेक पर 29 लोगो को बर्फीली हवा व ग्लेशियर टूटने से अपनी जान गंवानी पड़ी है ।ट्रेकरों की खोजबीन व उनके शवो को उत्तराखंड सरकार को वायु सेना का सहारा लेना पड़ा ।वही दूसरी तरफ केदानाथ से महापंथ की ओर ट्रेक पर मृतक ट्रेकर का शव अभी भी नहीं निकाला जा सका है। शव हेली से निकाला जाना है, जबकि हेली की अनुमति के लिए जिला आपदा प्रबंधन विभाग संबंधित विभाग से अनुमति लेने की कार्रवाई कर रहा है। लेकिन पांच दिन व्यतीत होने के बाद भी ट्रेकर के शव को नही निकाल पाए । आपदा प्रबंधन अधिकारी से वार्ता करने पर बताया गया है ।हेली कम्पनियो से बात करके अनुमति मिलने पर ही शव को वंहा से निकाला जाएगा ।बंगाल का एक ट्रैकिंग दल रांसी से होते हुए महापंथ -केदारनाथ के लिए बीते 2 अक्टूबर को रवाना हुआ था। इसमें कुल 10 सदस्य शामिल थे। 8 सदस्य सुरक्षित केदारनाथ धाम पहुंच गए हैं। जबकि दो सदस्य केदारनाथ से करीब 6 किलोमीटर दूरी पर फंसे गए थे। इसमें एक ट्रैकर की मौत हो गई थी। जिसका शव अभी उसी स्थान पर है। केदारनाथ धाम से छह किमी की दूरी पर बंगाल के ट्रैकर आलोक विश्वास पुत्र बबूल विश्वास, निासी नीचूताला, सगुना बेस्ट बंगाल की बीते पांच दिन पूर्व मौत हो गई थी। किंतु मौत के बाद अभी तक उनके शव को नहीं लाया जा सका है। बताया जा रहा है कि इस क्षेत्र में लगातार बर्फबारी हो रही है, जबकि जिस स्थान पर शव है, वह रास्ता भी काफी खतरनाक है
हेली से ही शव को लाया जाना है। हेली की अनुमति के लिए पत्राचार जिला आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा किया जा रहा है। इससे पूर्व डीडीआरएफ व एनडीआरएफ के साथ ही चार पोर्टर की संयुक्त टीम ने भी बीते 10 अक्टूबर को घायल ट्रैकर विक्रम मजूमदार को देर रात्रि रेस्क्यू टीम केदारनाथ लाए थे, जो कि उपचार के बाद स्वस्थ है। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एनएस रजवार ने बताया कि शव को जाने के लिए हेलीकाप्टर की अनुमति ली जा रही है। इस संबंध में पत्राचार किया जा रहा है। उम्मीद है कि सोमवार तक शव को हेली से लाया जा सकेगा।