केदारघाटी के शिव-पार्वती विवाह स्थली त्रियुगीनारायण मंदिर में शनिवार देर शाम पौराणिक रीति रिवाजों के साथ ऐतिहासिक हरियाली मेला धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर ग्रामीणों ने पारंपरिक वेशभूषा एवं गाजे बाजों के साथ मंदिर परिसर में सामूहिक रूप से जौ की हरियाली की पूजा अर्चना कर सर्वप्रथम भगवान विष्णु को अर्पित की।
बता दें प्रतिवर्ष क्षेत्र में धुर्बा अष्टमी को क्षेत्र की खुशहाली व विश्व कल्याण के लिए त्रियुगीनारायण में हरियाली मेले का आयोजन होता है। शनिवार को देर शाम त्रियुगीनारायण की सभी ग्रामीणों ने अपने घरों में उगाई गई जौ के साथ ही हरियाली को गाजे बाजों एवं भगवान नारायण के जयकारों के साथ सभी ग्रामीण मंदिर प्रांगण पहुंचे। पारंपरिक परिधान में पहुंची महिलाओं ने यहां पर भगवान नारायण व हरियाली की वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ विशेष पूजा अर्चना की गई। उसके उपरान्त सभी ग्रामीणों ने एक-एक कर यह हरियाली सर्वप्रथम भगवान को अर्पित की। इस दौरान पौराणिक गीतों एवं जयकारों से क्षेत्र का पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा। हरियाली मेले का यह दृश्य आकर्षण का केन्द्र रहा। इसके बाद में ग्रामीणों ने पूरे गांव में घूमकर एक दूसरे को इस हरियाली को प्रसाद के रूप में वितरित किया।
मान्यता है कि वामन भगवान ने अवतार लेने से चार दिन पूर्व माता अधिति एवं देव कन्याओं को अपने विराट रूप के दर्शन दिए थे। तब उन्होंने प्रसन्न होकर भगवान को दूर्वा अष्टमी को हरियाली भेंट की थी। तब से यह हरियाली मेला मनाने की परम्परा सदियों से चली आ रही है। इस अवसर पर प्रधान त्रियुगीनारायण प्रियंका तिवारी, महिला मंगल दल अध्यक्ष आरती देवी, जगन्नाथ प्रसाद ,सूर्य प्रसाद, परशुराम गैरोला, शंकर प्रसाद, सर्वेशनन्द भट्ट, दिवाकर गैरोला सहित सम्पूर्ण ग्रामवासी मौजूद थे।