तिलवाडा: कलश लोक संस्कृति चैरिटेबिल ट्रस्ट रुद्रप्रयाग के तत्वाधान में हिमवंत कवि चन्द्रकुंवर बत्र्वाल स्मृति में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें कवियों ने अपनी स्वरचित कविताओं के माध्यम से गांवों की समस्याओं को खूब उकेरा। जिसका उपस्थित लोगों ने खूब आनंद उठाया।
तिलवाडा के गीड़ गांव में आयोजित समारोह में सर्वप्रथम अतिथिगणों ने कवि चन्द्रकुंवर बत्र्वाल के चित्र का अनावरण कर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की। तथा उनके द्वारा साहित्य के क्षेत्र में दिए गए योगदान को याद किया गया। समारोह का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि डायट रतूडा के प्राचार्य विनोद सिमल्टी ने कहा कि कवि चन्द्रकुंवर द्वारा अपने अल्पालु में दिए गए योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। जो जनपद के साथ ही प्रदेश के लिए गर्व की बात है। बताया कि उनकी रचनाओं को पाठयक्रम में शामिल करने के प्रयास किए जाएंगे। ताकि आने वाली पीढ़ी भी उनकी रचनाओं से रूबरू हो सके।
समारोह में आयोजित कवि सम्मेलन में ट्रस्ट के संस्थापक ओमप्रकाश सेमवाल ने बुग्यालों कि सैर करीक सौंजड़्या तेरा गौं का बाटा लग्यां, जगदम्बा प्रसाद चमोला ने घौर जाण मैंन आज अपड़ा बुड्या कूड़ा पर, मुरली दीवान ने प्यार अर दुलारै सुगंध रै जींका गात मा वै च ब्वे, अनूप नेगी ने गुंज गुंज गुंजणी बाघ सीं दहाड़ छै, अश्विनी गौड़ ने बंदरों कु तमसु मचयूं च, वेदिका सेमवाल ने बूड बुड्या, कुसुम भट्ट ने रीति रिवाज, विमला राणा ने पलायन, आशा चमोला ने नयो फैशन समेत कई स्वरचित रचनाओं के माध्यम से ग्रामीण स्तर की समस्याओं को उकेरा। जिसका श्रोताओं ने खूब आनंद उठाया। कार्यक्रम अध्यक्ष गम्भीर सिंह बर्त्वाल, प्रेम मोहन डोभाल, चन्द्र शेखर पुरोहित, दिलवान बर्त्वाल, प्रदीप भण्डारी, संजय रावत, हैप्पी असवाल, रेखा भण्डारी, आशीष कण्डारी, अंशुल जगवाण, जीतपाल सिंह नेगी, अनूप भण्डारी, जीत सिंह असवाल, शिशपाल कण्डारी, प्रदीप सिह समेत कई लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन ओमप्रकाश सेमवाल व हैप्पी असवाल ने संयुक्त रूप से किया।