लाख दावों के बावजूद भी उत्तराखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है। यहां पर्वतीय क्षेत्रों में कैसी स्वास्थ्य व्यवस्था है उसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि बुधवार को एक प्रसूता ने सड़क में ही बच्चे को जन्म दे दिया। मामला नैनीताल जिले का है जहां पहले प्रसूता को डोली के सहारे पांच किलोमीटर पैदल सड़क तक पहुंचाया। लेकिन प्रसूता प्रसव पीड़ा नहीं सह पाई और उसने सड़क में ही बच्चे को जन्म दे दिया। उसके बाद परिजनों ने जच्चा और बच्चा दोनों को अस्पताल पहुंचाया।
मामला नैनीताल जिले के दूरस्थ क्षेत्र बल्यूटी मोरा गांव का है। यहां 30 वर्षीय गर्भवती महिला दीपा जीना को बुधवार अचानक प्रसव पीड़ा हो गई। गांव का रास्ता ऐसा है कि वहां एंबुलेंस का पहुंचना संभव नहीं था। जिसके बाद ग्रामीणों ने लगभग तीन बजे महिला को पैदल दी सड़क पहुंचाने की ठानी। यहां ग्रामीणों ने कुर्सी की मदद से डोली बनाई। इस डोली में बिठाकर प्रसूता को पांच किलोमीटर दूर सड़क मार्ग भुजियाघाट तक पहुंचाया। लेकिन भुजियाघाट पहुंचते ही प्रसूता को असहनीय दर्द होने लगा। अब जैसे ही भुजियाघाट में प्रसूता को डोली से नीचे उतारा को प्रसूता ने वहीं सड़क में ही बच्चे को जन्म दे दिया। बच्चे का जन्म होते ही परिजनों की परेशानियां भी बढ़ने लगी। इसका कारण था कि वहां आस- पास कहीं अस्पताल भी नहीं था। इसके बाद स्थानीय ग्रामीणों की मदद से जच्चा और बच्चा दोनों को महिला अस्पताल हल्द्वानी लाया गया। गनीमत रही कि इस बीच कोई अप्रिय घटना नहीं घटी और दोनों जच्चा और बच्चा अस्पताल सुरक्षित पहुंच गये। इस घटना के बाद स्थानीय लोगों में रोष दिखाई दे रहा है। यहां के जिला पंचायत सदस्य मुन्नी जीना का कहना है कि एक तो यहां पर्वतीय क्षेत्रों में रास्ते ठीक नहीं हैं ऊपर से यहां लगभग 10 किलोमीटर के दायरे में कोई स्वास्थ्य केंद्र भी नहीं है। यहां समय पर उपचार न मिलने से ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।