रुद्रप्रयाग। केदारघाटी में आई आपदा के बाद जहां सम्पर्क मार्ग पूरी तरह ध्वस्त हो गए थे, ऐसे में हेलीकॉप्टर पायलेटों ने कठिन परिस्थिति और बारिश व घने कोहरे के बीच हजारों यात्रियों की जान बचाई है। स्वयं अपनी जान पर खेलते हुए केदारघाटी के बिगडैल मौसम के बीच हेलीकॉप्टर उड़ाकर अनेक हेलीपैडों से यात्रियों को सुरक्षित निकाला है।
घने कोहरे और तेजी से घुमड़ते बादलों के बीच हेली पायलेटों ने किया सफल रेस्क्यू
वर्ष 2013 की आपदा में भी हेलीकॉप्टर पायलेटों ने रेस्क्यू अभियान में अहम भूमिका निभाई। तब इंसान के साथ बेजुमान जानवरों को भी हेली से रेस्क्यू किया गया। भले ही इस बार केदारघाटी में आई आपदा से उस तरह की जानमाल की क्षति नहीं हुई है किंतु हालात वर्ष 2013 की आपदा जैसे हो गए थे। केदारनाथ पैदल मार्ग पर फंसे यात्रियों को हेली से रेस्क्यू करने के सिवा कोई दूसरा विकल्प नहीं था। अफसरों के साथ ही विभिन्न सुरक्षा जवानों को रास्तों में ड्रॉप करने के लिए हेली का उपयोग किया गया। ऐसे में केदारघाटी के पल-पल बदलते मौसम के बीच हेली उड़ाना भी एक बड़ी चुनौती था। एक ओर जहां मानूसनी मौसम में केदारघाटी में अधिकांश चारों ओर कोहरा फैला रहता है वहीं एयररूट भी न दिखने से दुर्घटनाओं की भी संभावना बनी रहती है किंतु अपनी जान की परवाह न किए हेलीकॉप्टर पायलेट्स ने मानवता की मिशाल पेश की है। पायलेटों ने हेलीकॉप्टरों की मदद से केदारनाथ पैदल मार्ग के लिंचौली, भीमबली, चीरबासा, केदारनाथ आदि स्थानों में फंसे यात्रियों का सफल रेस्क्यू किया।
एक अगस्त से गुरुवार तक 570 शटल करते हुए करीब 3400 यात्रियों का किया सफल रेस्क्यू
रेस्क्यू में इन पायलेट ने निभाई अहम भूमिका-
कैप्टन प्रताप सिंह, कैप्टन अरविंद पांडेय, कैप्टन बॉवी पीजी सिंह, कैप्टन बलजीत सिंह, कैप्टन केएसए खान, कैप्टन विक्रम गीरा, कैप्टन जितेंद्र हराये, कैप्टन समित, कैप्टन राजेश सोकंद, कैप्टन जितेंद्र
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रेस्क्यू में इन हेली सेवाओं ने दिया योगदान-
ट्रास भारत एविएशन, हिमालय हेली, हैरिटेज एविएशन, पिनैकल, रियाज
31 जुलाई की रात आपदा की खबर मिलने के बाद जिलाधिकारी के निर्देशों पर 1 अगस्त सुबह से हेलीकॉप्टर रेस्क्यू की शुरूआत की गई। गुरुवार तक हेलीकॉप्टरों से रेस्क्यू किया गया। जिसमें 570 शटल की गई जिससे करीब 3400 यात्रियों को सुरक्षित निकाला गया।
बादलों की गडगड़ाहट और बारिश की तेज फुहारों के बीच आसान नहीं था हेलीकॉप्टर उड़ाना
केदारघाटी में हेलीकॉप्टर उड़ाना इतना आसान नहीं है जितना समझा जाता है। सामान्य स्थितियों से हटकर यदि आपदा के वक्त के हालात देखे जाएं तो यहां अधिकांश समय मौसम हेलीकॉप्टरों का लगातार रास्ता रोकता रहा है। वो भी मानूसनी सीजन में केदारघाटी जैसे बिगडैल मौसम में सफलता पूर्वक हेलीकॉप्टर उड़ाना एक सफल पायलेट के कारण ही संभव हो पाता है।