मुजफ्फरनगर। उत्तराखंड आंदोलन के दौरान 1 अक्तूबर 1994 की रात और 2 अक्तूबर को गांधी जयंती की भोर रामपुर तिराहा पर मानवता को शर्मशार करने वालों पर अब 30 साल बाद कोर्ट का हथौड़ा पड़ना शुरू हो गया है। सोमवार को महिलाओं से सामूहिक दुष्कर्म, छेड़छाड़ आदि के मुजरिम उत्तर प्रदेश पीएसी की 41वीं वाहिनी के दो तत्कालीन जवानों मिलाप सिंह व वीरेंद्र प्रताप को कोर्ट ने उम्रकैद सुनाई है। दोनो पर 50-50 हजार जुर्माना भी किया गया है।
राज्य आंदोलन के दौरान हुए चर्चित रामपुर तिराहा कांड में पीएससी के दो सिपाहियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि लंबे समय से न्याय का इंतजार कर रहे पीड़ितों एवं उनके परिवारजनों को अदालत के निर्णय से बड़ी राहत मिली है…
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे पर 2 अक्टूबर 1994 को आंदोलन के दौरान हमारे नौजवानों, गया,जिसमें कई आन्दोलनकरियों की शहादत हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी। उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करना सरकार की प्राथमिकता और कर्तव्य है।
गौरतलब है कि रामपुर तिराहा कांड में अदालत ने दोनों आरोपियों पीएससी के जवानों को आजीवन कारावास की सजा सुनाने के साथ ही उन पर 50-50 हजार का जुर्माना भी लगाया है।