फास्ट ट्रैक कोर्ट में हो अंकिता भंडारी मामले की सुनवाई
श्रीनगर में मूल निवास स्वाभिमान महारैली कि तैयारी पूरी
श्रीनगर। मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति ने श्रीनगर गढ़वाल में 10 मार्च को होने जा रही मूल निवास स्वाभिमान महारैली की तैयारी पूरी कर दी है।
कार्यक्रम की जानकारी देते हुए मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि 10 मार्च को सुबह 10 बजे सभी लोग रामलीला मैदान में एकत्रित होंगे। यहां पर जनसभा के बाद गोला बाजार तक रैली निकाली जाएगी। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई हरेक मूल निवासी की है। आज हमारी नौकरियां हमसे छीनी जा रही है। जमीन और सभी तरह के आर्थिक संसाधनों पर बाहर के लोगों का कब्जा होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि गढ़वाल विश्विद्यालय के केंद्रीय विश्विद्यालय बनने से हमारे मूल निवासी छात्रों को दाखिला मिलना मुश्किल हो गया है। प्रोफेसर तक मूल निवासी नहीं बन पा रहे हैं। हमारी यह भी मांग है कि यहां के छात्रों को एडमिशन के लिए वैटेज मिलना चाहिए और नियुक्तियों के लिए मूल निवासियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए।
मोहित डिमरी ने कहा कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन में 80 प्रतिशत रोजगार मूल निवासियों को मिलना चाहिए। श्रीनगर मेडिकल कॉलेज से लेकर हर तरह के सरकारी और प्राइवेट संस्थानों में नौकरी पर पहला अधिकार मूल निवासी का ही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि दलगत राजनीति से हटकर हर मूल निवासी को अपने अधिकार के लिए लड़ना होगा। अपने और अपनी आने वाली पीढ़ी के बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए काम करना होगा।
कहा कि सरकार अवैध बस्तियों को जमीन का मालिकाना हक दे रही है और पहाड़ के मूल निवासियों कु दुकानें-मकान उजाड़ रही है। मूल निवासियों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। आज मूल निवासियों का वजूद खतरे में है। बाहर के लोगों को नौकरियां मिल रही है और हमारे युवा बेरोजगार घूम रहे हैं। फर्जी स्थाई निवास बनाकर भी बाहरी लोग हमारे राज्य के संसाधन लूट रहे हैं।
पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष पूनम तिवाड़ी ने कहा कि मूल निवास की व्यवस्था होती तो अंकिता की हत्या नहीं होती। आज प्रदेश में आपराधिक किस्म के लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इससे उत्तराखंड की शांत वादियों में हत्या, लूट और बलात्कार की घटनाएं बढ़ रही है। यह हमारे लिए चिंता का विषय है। अंकिता भंडारी की लड़ाई लड़ रहे आशुतोष नेगी को साजिशन झूठे मुकदमे में फंसाया गया है। ताकि अंकिता की न्यायिक लड़ाई को कमजोर किया जा सके।
समिति के कोर मेंबर अरुण नेगी, देवेंद्र नौडियाल, प्रांजल नौडियाल, जय हो छात्र संगठन से छात्रसंघ अध्यक्ष सुधांशु थपलियाल,
शिवानंद लखेड़ा, अमित पंत, छात्रम संगठन से उपाध्यक्ष रुपेश नेगी, एनएसयूआई से छात्रसंघ महासचिव आंचल राणा, प्रदेश उपाध्यक्ष सूरज नेगी, एसएफआई से प्रदेश अध्यक्ष नितिन मलेठा, आईसा से अंकित उछोली एवं अतुल सती, ऐआईडीएसओ से कुलदीप,
आर्यन संगठन से नीरज पंचोली एवं केशव ने कहा कि पूर्व अध्यक्ष प्रभाकर बाबुलकर, पूर्व उपाध्यक्ष रोबिन सिंह, उपासना भट्ट,
छात्र नेता वीरेंद्र बिष्ट, पुनीत, अखिल राणा, मोनिका ने कहा कि आज मलिन बस्तियों को सरकार जमीन का मालिकाना हक दे रही है और मूल निवासियों की दुकानें-मकान तोड़ी जा रही हैं। मूल निवासियों के सभी तरह के संसाधनों पर कब्जा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्थिति यह हो गई है कि भविष्य में मूल निवासी विधायक तक नहीं बन पायेंगे। यह आंदोलन दलगत राजनीति से ऊपर है। इसमें सभी को भागीदारी निभानी चाहिए।