वनों के संरक्षण संवर्धन और रखरखाव के लिए जिस वन विभाग को जिम्मेदारी दी गई है और हर वर्ष भारत सरकार से लेकर राज्य सरकारें करोड़ों रुपए इस विभाग पर खर्च करती हो, वह विभाग अपने ही कैंप कार्यालय की चार दिवारी के अंदर ही बेस कीमती चंदन के पेड़ों को नहीं बचा पाई है तो इससे बडी शर्मनाक बात, लापरवाही व वह अकर्मण्यता क्या हो सकती है।
मामला रुद्रप्रयाग वन विभाग कैंप कार्यालय का है जहां वन अधिकारी के कैंप कार्यालय के बाहर से सालों से खड़े बेस कीमती चंदन के पेड़ पिछली रविवार की रात्रि को चोरों द्वारा काटकर चोरी कर गये। हमारे । पूरे मामले को एक सप्ताह का समय हो गया है किन्तु वन विभाग लिपापोती में जुटा है।
पूरे मामले में जब हमने डीएफओ अभिमन्यु से इस बाबत जानकारी लेनी चाही तो डीएफओ दिवारा मीडिया को गुमराह किया गया दो घंटे तक मिलने का समय नही दिया। जिससे ये साफ होता है कि वे कैसे इस मामले बचते नजर आ रहे हैं।जबकि हमारे टीम जब घटनास्थल पर पहुंची तो उन्होंने कैंप कार्यालय का गेट भी बंद कर दिया ताकि इस पूरे मामले को रफा दफा किया जा सके और मीडिया के कैमरों से सारे सबूत बचे जा सकते हैं।
हालांकि हमारे द्वारा टेलीफोन पर डीएफओ अभिमन्यु से बात की तो उन्होंने बताया की इस मामले में बड़े गिरोह का हाथ है। जिसकी जांच चल रही है हालांकि बिना वन विभाग के अधिकारियों की संलिप्त से वन विभाग के अधिकारियों के मुंह के सामने बेस कीमती चंदन के पेड़ों की चोरी नहीं हो सकती है। हालांकि यह अभी जांच का विषय है कि वाकई अगर वन विभाग इस पूरे मामले से बेखबर है तो क्या वह उसे गिरोह या चोरों तक पहुंच सकता है। सबसे अहम सवाल यह है कि जब वन विभाग के कैंप कार्यालय में ही इतने
बेस कीमती पेड़ों की चोरी हो रही है तो फिर दूरस्थ जंगल के क्षेत्र में किस तरह से पेड़ों को बचाया जा रहा होगा?
वन विभाग की इस नाकामी पर सवाल बहुत सारे और गंभीर खड़े होते हैं किंतु सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि जब डीएफओ के मुंह के सामने इस तरह से चोरी हो रही है तो फिर वीडियो की कार्यप्रणाली भी सवालों की घेरे में आती है। वनों के संरक्षण व संवर्धन हेतु वन अधिनियम की गंभीर धारायें केवल आम आदमी के लिए हैं या ऐसे लापरवाह अधिकारियों पर भी कोई कानूनी कार्रवाई की जाएगी?