जसोली की हरियाली देवी धनतेरस को हरियाली कांठा को करेगी प्रस्थान।
उत्त्तराखण्ड में एक मात्र देव यात्रा जो रात को निकलती है।
रुद्रप्रयाग:: जनपद रुद्रप्रयाग के विकासखण्ड अगस्त्यमुनि के रानीगढ क्षेत्र में विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी मां हरियाली देवी अपने मायका हरियाली कांठा को निकलेगी ।उत्त्तराखण्ड के रानिगढ़ क्षेत्र में एक मात्र ऐसी देव यात्रा है जो कि सूर्य अस्त होने के साथ देव डोली मायका को निकलती है ।यह देव यात्रा अति दुर्गम होने के साथ साथ कठिन भी होती है जिसमे केवल पुरुष ही प्रतिभाग करते हैं और महिलाओं को पूर्ण रूप से वर्जित होती है ।मान्यतों के अनुसार इस हरियाली देवी की देव यात्रा में सम्मलित होने वाले लोगो को एक सप्ताह पूर्व से ही मांसाहारी भोजन, प्याज ,लहसुन तथा सभी प्रकार के तामसी भोजन का त्याग कर देते हैं और देव यात्रा में सम्मलित होते हैं ।मां हरियाली देवी की देव यात्रा साल में केवल एक ही बार होती है वह भी केवल रात को दुर्गम रास्तो से होते हुए हरियाली कांठा को जाती है जंहा पर देवभक्तो के द्वारा रात्रि जागरण व पूजा अर्चना के बाद सुबह सूर्य उगने के साथ ही कांठे पर स्थिति मंदिर में पहुँचती है, तथा वहाँ पर होने वाली पूजा अर्चना संपन्न होने के बाद अपने मूल स्थान जसोली में स्थिति मंदिर को लौट आती है ।मान्यताओं के अनुसार हरियाली देवी साल में एक दिन अपने मायका को जाती है जहां आसपास के गांवों के द्वारा माता को पुष्प प्रसाद अर्पित किए जाते हैं और क्षेत्र की खुशहाली के लिए अपनी आराध्य देवी से प्राथना की जाती है ।इस एक दिवशीय यात्रा को लेकर जशोली क्षेत्र के लोगो मे काफी उत्साह बना रहता है और गांवों से दूर रह रहे प्रवासी भी देव यात्रा में सम्मलित होने को अपने गांव को आते हैं ।
हरियाली देवी के मंदिर समिति के अध्यक्ष विनोद प्रसाद मैठाणी ने कहा कि 10 नंबर को मां हरियाली देवी की डोली( देवयात्रा) सांय को मन्दिर परिसर से निकल कर हरियाली कांठा को निकलेगी।जिसमे प्रथम पड़ाव कोदिमा में रुक कर पूजा अर्चना के बाद दूसरे पड़ाव बांसों के लिये प्रस्थान करेगी यहां पर 3बजे रात तक विश्राम करेगी ब्रह्म मूर्त डोली स्नान के लिए पंचरंगा(पांच रंगों का पानी)के लिए प्रस्थान करेगी। यंहा पर स्नान कर के हरियाली कांठा को निकलेगी । सूर्योदय के साथ ही चतुदर्णी मन्दिर में प्रवेश करेगी जंहा पूजा अर्चन ,हवन के साथ प्रसाद वितरण किया जाएगा ,मां हरियाली देवी का प्रसाद भी खास होता है जिसमे में निर्पनी खीर व बिंदुली चावल दिए जाते है जिनको दांतो से बिना चबाये खाया जाता है ।पुनः मां हरियाली देवी की डोली जसोली गांव के लिए प्रस्थान करती है ।इस अवसर पर मन्दिर समिति के द्वारा सभी भक्तों के लिए भंडारे का आयोजन भी किया गया है ।जसोली कि ग्राम प्रधान अर्चना चमोली का सभी देव भक्तों से आग्रह है कि अधिक से अधिक संख्या में आकर मां हरियाली देवी का आशीर्वाद ग्रहण करे।