केदारनाथ धाम में मंदिर के पीछे पहाड़ियों में हुआ एवलांच
केदारनाथ धाम से तीन से चार किमी दूर हैं ये पहाड़ियां
पर्यावरण विशेषज्ञों ने जताई चिंता,
हेलीकाॅप्टरों की अंधाधुंध उड़ानों से एवलांच की बढ़ रही घटना
हेली सेवाओं की गर्जनाओं से चटक रहे ग्लेशियर
वन्य जीवों को पहुंच रहा नुकसान, बिगड़ रहा पर्यारवण संतुलनरुद्रप्रयाग। केदारनाथ धाम में मंदिर के पीछे बर्फीली चोटियों पर एक बार फिर एवलांच आया है। हालांकि यह एवलांच केदारनाथ धाम से लगभग तीन से चार किमी दूर था। इसमें किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन इस एवलांच को देखकर श्रद्धालुओं की सांसे थम गई। पिछले यात्रा सीजन के दौरान भी इन बर्फीली पहाड़ियों पर तीन बार एवलांच हुआ था और इस बार भी अप्रैल माह में एवलांच की घटना सामने आई थी।
पर्यावरण विशेषज्ञ देवराघवेन्द्र बद्री ने कहा कि केदारनाथ धाम आस्था का केन्द्र है। यह केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य का बहुत बड़ा पार्ट है। यहां हेली कंपनियां अंधाधुंध उड़ाने भर रही हैं। एनजीटी के मानकों का कोई भी हेली कंपनी पालन नहीं कर रही है। लगातार सटल सेवाएं चल रही हैं, जबकि हर दिन सुबह के समय वायु सेना का चिनूक हेलीकाॅप्टर भी पुनर्निर्माण का सामान केदारनाथ धाम पहुंचा रहा है। यह हिमालय के लिए घातक है। हेलीकाॅप्टर की गर्जना से ग्लेशियरों के चटकने के कई उदाहरण सामने आये हैं। हेली सेवाआंे से जहां ग्लेशियरों के टूटने की घटनाएं सामने आ रही हैं, वहीं वन्य जीवों पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है। साथ ही पर्यावरण का स्वास्थ्य भी गड़बड़ा रहा है। उन्होंने एनजीटी और शासन-प्रशासन से आग्रह किया कि हिमालय को बचाना है तो हेलीकाॅप्टर की सेवाओं को नियंत्रण किया जाना जरूरी है।